केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वामपंथी नेता वी.एस. अच्युतानंदन का सोमवार को 101 साल की उम्र में निधन हो गया। वे माकपा (CPI-M) के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। लोग उन्हें प्यार से "वीएस" कहकर बुलाते थे। करीब 80 साल के लंबे राजनीतिक जीवन में वे आम जनता के बड़े नेता और वामपंथी विचारधारा के मजबूत आवाज बने रहे।
वीएस अच्युतानंदन का जन्म 20 अक्टूबर 1923 को केरल के अलपुझा ज़िले में एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने बहुत कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया और जीवन यापन के लिए दर्जी की दुकान और फिर एक फैक्ट्री में काम किया। बाद में वे वामपंथी आंदोलन से जुड़ गए और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के उन 32 नेताओं में शामिल रहे, जिन्होंने पार्टी से अलग होकर माकपा की स्थापना की।
वीएस पिछले कुछ समय से बीमार थे और 23 जून को कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) के बाद एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और माकपा के वरिष्ठ नेता एम.वी. गोविंदन उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे थे।
उन्होंने जनवरी 2021 में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था और अपने बेटे-बेटी के साथ बारी-बारी से तिरुवनंतपुरम में रहते थे। उनका सम्मान सिर्फ उनकी पार्टी में ही नहीं, बल्कि दूसरे दलों में भी होता था। वे 2001 से 2006 तक विपक्ष के नेता और 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे।
वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने फिर से चुनाव लड़ा और वाम मोर्चा (LDF) की अगुवाई की। वे फिर मुख्यमंत्री बनने के बेहद करीब थे, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ (UDF) को 140 में से 72 सीटें मिलीं और वे सरकार बनाने में कामयाब हो गए। वीएस अच्युतानंदन को देश में ईमानदार, साफ छवि और जनता से जुड़े नेता के तौर पर याद किया जाता है।