एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के दौरान एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें भारतीय टीम ने आईसीसी मैच रेफरी से शिकायत करते हुए आरोप लगाया है कि इंग्लैंड को मैच बॉल चुनने में पक्षपातपूर्ण सुविधा दी जा रही है. खासतौर पर लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान एक निर्णायक मोड़ पर गेंद के बिगड़ने के बाद, इंग्लैंड को जो गेंद दी गई वह 30–35 ओवर पुरानी थी, जिससे मैच का रुख पूरी तरह पलट गया.
तीसरे टेस्ट में जसप्रीत बुमराह की घातक गेंदबाज़ी से इंग्लैंड 271/7 पर संघर्ष कर रहा था, लेकिन गेंद के बिगड़ने के बाद जो बदलाव हुआ उसने मैच का पूरा परिदृश्य बदल दिया. भारत ने मैच में महज़ 22 रन से हार झेली, और अब भारतीय खेमा इस विवाद को गंभीर मान रहा है.
भारतीय टीम अधिकारियों का कहना है कि लॉर्ड्स टेस्ट में 10 ओवर के बाद ही ड्यूक्स बॉल अपनी शेप खो बैठी थी, और अंपायरों ने अपने स्टैंडर्ड रिंग्स से जांच के बाद गेंद बदलने का फैसला लिया. लेकिन भारतीय खेमे के अनुसार, उन्हें जो रिप्लेसमेंट बॉल दी गई वह 10 ओवर पुरानी नहीं थी.
एक भारतीय टीम अधिकारी ने Indian Express को बताया कि अंपायरों के पास 10 ओवर पुरानी गेंद नहीं थी, इसलिए हमें 30–35 ओवर पुरानी गेंद थमा दी गई. स्कोरबोर्ड देखकर देखिए कैसे मैच का रुख बदला. गेंदबाज़ों को स्विंग नहीं मिली और इंग्लैंड ने आसानी से रन बनाए.
आईसीसी के नियमों के मुताबिक, रिप्लेसमेंट बॉल उसी उम्र की होनी चाहिए जितनी पुरानी मौजूदा गेंद होती है. लेकिन लॉर्ड्स टेस्ट में इस प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ. भारतीय अधिकारियों ने ये भी आरोप लगाया कि गेंद की उम्र की जानकारी टीम को नहीं दी जाती. जब आप गेंद बदलते हैं, तो आपको यह नहीं बताया जाता कि नई गेंद कितनी पुरानी है. अगर हमें बताया गया होता कि वो गेंद 30–35 ओवर पुरानी है, तो हम 10 ओवर पुरानी डिफॉर्म्ड गेंद से ही खेलना पसंद करते. यह नियम बदलने की ज़रूरत है.
रिपोर्ट के अनुसार, सीरीज़ में उपयोग की जा रही ड्यूक्स गेंदों में जो गहरे लाल रंग की होती है, वो ज्यादा स्विंग देती है। भारतीय अधिकारी ने दावा किया कि एक बार जब उन्होंने उस गहरी गेंद की मांग की, तो उन्हें बताया गया कि वह इंग्लैंड द्वारा दूसरी नई गेंद के तौर पर चुन ली गई है. हम कुछ आरोप नहीं लगा रहे, लेकिन जब हमने वो डार्क शेड वाली गेंद मांगी, तो कहा गया कि इंग्लैंड ने उसे दूसरी नई गेंद के तौर पर चुन लिया है. सही प्रक्रिया यह होनी चाहिए कि गेंद का चयन मैच रेफरी के कमरे में हो, न कि स्थानीय अंपायर के साथ ड्रेसिंग रूम में.
भारतीय टीम प्रबंधन ने आईसीसी से नियमों में बदलाव की मांग की है ताकि टीमों को रिप्लेसमेंट बॉल के बारे में पूरी जानकारी दी जा सके और चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जा सके. यह मुद्दा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तूल पकड़ रहा है और देखना होगा कि आईसीसी इस पर क्या रुख अपनाता है.
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