हम अक्सर अपने आसपास कुछ ऐसे लोगों को देखते हैं जो झूठ बोलते हैं, दूसरों को धोखा देते हैं, बेईमानी करते हैं- फिर भी वो हमेशा हंसते-मुस्कुराते और बिंदास नजर आते हैं. दूसरी तरफ, ईमानदारी से जीने वाले लोग तनाव और चिंता से जूझते हुए दिखते हैं. सवाल ये उठता है कि क्या वाकई बुरा करने वाले लोग ज्यादा खुश रहते हैं? या ये सब सिर्फ एक दिखावा है? इस लेख में हम इसी जटिलता को विस्तार से समझेंगे.
जो लोग गलत रास्तों पर चलते हैं, उनका मकसद अक्सर "फास्ट रिजल्ट" पाना होता है. वे रास्ते चुनते हैं जिनसे उन्हें बिना ज्यादा मेहनत के पैसा, सुख-सुविधा या पावर मिल सके. जैसे की किसी को धोखा देकर पैसा कमाना, झूठ बोलकर फायदा उठा लेना और नियमों को तोड़कर अपने लिए रास्ता बनाना.
इन सब से उन्हें तुरंत एक मानसिक संतोष मिलता है, जो अस्थायी होता है. वे कुछ देर के लिए खुश हो सकते हैं, लेकिन ये संतुष्टि गहराई से नहीं आती.
आज के सोशल मीडिया दौर में हर कोई अपनी जिंदगी को परफेक्ट दिखाना चाहता है. बुरा करने वाले लोग इस कला में माहिर होते हैं. वे अपने जीवन को ऐसा प्रेजेन्ट करते हैं जैसे सब कुछ उनके कंट्रोल में है. जैसे की लग्जरी होटल्स, कार, गिफ्ट्स की तस्वीरें, पार्टीज, छुट्टियों और हंसी-मजाक भरे पलों को शेयर करना.
ये सब उनके असली जीवन की तस्वीर नहीं होती. ये ‘हाईलाइट्स’ होते हैं, जिनके पीछे छुपा होता है असुरक्षा, तनाव और भय.
बुरा करने वाले लोग अक्सर खुद को नैतिक जिम्मेदारियों से मुक्त कर लेते हैं. उन्हें किसी की भावना, नुकसान या भविष्य की परवाह नहीं होती. उनका सोचने का तरीका होता है: “जो होगा देखा जाएगा”
इस लापरवाह नजरिए से वे तनाव में कम दिखते हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वे सच में तनावमुक्त हैं-वे बस उसे खुद से दूर रखने की कोशिश करते हैं.
भले ही बाहर से वो लोग मुस्कुराते हों, लेकिन अंदर से उनमें भी अपराधबोध, डर और आत्म-संदेह होता है. पर उन्होंने ये सीख लिया होता है कि इन भावनाओं को कैसे छिपाना है.
अगर उन्होंने दुख जताया, तो उनकी सच्चाई उजागर हो सकती है. समाज की नजरों में गिरने का डर उन्हें मजबूर करता है हमेशा खुश दिखने के लिए.
आज के समय में सामाजिक मानदंड काफी बदल चुके हैं. अब लोगों को उनके चरित्र से नहीं, उनकी चीजों और दिखावे से मापा जाता है.
महंगी चीजों का मतलब है – सफल इंसान, किसी ने गलत तरीके से कमाया है या सही से, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. इस सोच के कारण गलत काम करने वालों को सराहना भी मिल जाती है. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे और भी ज्यादा "खुश" नजर आने लगते हैं.
ईमानदार और सच्चाई से जीने वाले लोग भले ही संघर्ष में हों, पर वे भीतर से साफ और शांत होते हैं. उन्हें झूठ छुपाने की जरूरत नहीं पड़ती, उनका डर बाहर कम दिखता है लेकिन अंदर से वे मजबूत होते हैं. ऐसे लोग समाज के शोर से दूर रहकर आत्म-संतोष पाते हैं. उन्हें बाहरी दिखावे की उतनी जरूरत नहीं होती.
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