भारतीय थाली दाल के बिना अधूरी मानी जाती है. यो सिर्फ खाने का हिस्सा नहीं बल्कि प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स का अहम स्रोत है. तुअर, मसूर, मूंग, उड़द और चना जैसी दालें हर घर की रसोई में अपनी जगह बनाए हुए हैं. चावल या रोटी- दोनों के साथ इसका स्वाद दोगुना हो जाता है. यहां तक कि बच्चों को भी पोषण के लिए दाल का पानी पिलाया जाता है.
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि दाल को सीधे पकाने की बजाय पहले भिगोकर बनाने से इसका पोषण और पाचन दोनों बेहतर हो जाते हैं? TV 9 से बातचीत में न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन ने अपने पोस्ट में यही राज खोला है.
दाल में फाइटिक एसिड और टैनिन पाए जाते हैं, जो शरीर में आयरन, जिंक और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालते हैं. दाल को कुछ देर पानी में भिगोकर रखने से ये तत्व कम हो जाते हैं और पोषण आसानी से शरीर को मिलता है.
साथ ही इसमें मौजूद ऑलिगोसैकेराइड्स नाम की शुगर हमारे पाचन तंत्र को परेशान करती है, जिससे गैस और ब्लोटिंग होती है. भिगोने से यह शुगर धुल जाती है और दाल हल्की हो जाती है. इसके अलावा, भिगोने से एंजाइम एक्टिव हो जाते हैं और दाल में स्प्राउटिंग प्रोसेस शुरू होता है, जिससे प्रोटीन और बी-विटामिन अधिक बायोअवेलेबल हो जाते हैं.
पाचन आसान हो जाता है और गैस कम बनती है. दाल जल्दी पक जाती है और नरम बनती है. पोषण तत्व सही मात्रा में सुरक्षित रहते हैं. प्रोटीन और मिनरल्स का अवशोषण बेहतर होता है.
बिना छिलके वाली मूंग दाल, लाल मसूर और अरहर दाल – 30 मिनट मूंग छिलका, उड़द छिलका और चना दाल – 2 से 4 घंटे साबुत मूंग, मसूर, उड़द, लोबिया और मोठ – 6 से 8 घंटे राजमा, काला चना और सफेद चना – रातभर भिगोना ज़रूरी
राजमा और चना जैसे हैवी दालों को पकाते समय अगर आप तेजपत्ता, बड़ी इलायची और पिप्पली डालें तो उनका भारीपन कम हो जाता है और पाचन भी आसान हो जाता है.
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