क्या आप जानते हैं कि फाइटर जेट का इंजन कौन-कौन से देश में बनाया जाता है?

Fighter Jet Engine : दुनिया में कुछ ही देश फाइटर जेट इंजन खुद बना सकते हैं . भारत भी कावेरी इंजन के जरिए आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है.

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Fighter Jet Engine : दुनिया में किसी भी फाइटर जेट की असली ताकत उसके इंजन में होती है. इंजन ही वो शक्ति है जो विमान को सुपरसोनिक स्पीड, ऊंची उड़ान और जबरदस्त मैन्युवरिंग क्षमता देता है. हाल ही में रूस द्वारा पाकिस्तान को JF-17 थंडर के लिए उन्नत RD-93MA इंजन सप्लाई करने का फैसला इसी दिशा में चर्चा का केंद्र बन गया है. इस कदम ने न सिर्फ भारत की चिंता बढ़ाई है, बल्कि ये सवाल भी उठाया है कि आखिर कौन-कौन से देश खुद फाइटर जेट इंजन बनाने में सक्षम हैं और इसमें कितना खर्च आता है.

किन देशों के पास है फाइटर जेट इंजन बनाने की क्षमता

पूरी दुनिया में केवल कुछ ही देश हैं जो स्वयं अपने फाइटर जेट इंजन डिजाइन, विकसित और निर्माण कर सकते हैं. इन देशों में प्रमुख हैं – अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन और जर्मनी.

अमेरिका की कंपनियां GE Aviation और Pratt & Whitney दुनिया की सबसे उन्नत इंजन निर्माता हैं. ये F-22 Raptor और F-35 Lightning II जैसे अत्याधुनिक विमानों के लिए इंजन तैयार करती हैं.

रूस की Saturn और Klimov कंपनियां Su-30, MiG-29, और Su-57 जैसे शक्तिशाली विमानों को ऊर्जा देती हैं.

फ्रांस की Safran Aircraft Engines राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान का इंजन बनाती है.

ब्रिटेन की Rolls-Royce कंपनी Eurofighter Typhoon के इंजन निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाती है.

जर्मनी की MTU Aero Engines यूरोप के कई संयुक्त रक्षा प्रोजेक्ट्स का अहम हिस्सा है.

चीन ने भी अपनी WS इंजन सीरीज विकसित की है, हालांकि उसकी विश्वसनीयता अब भी पश्चिमी देशों के मुकाबले कम मानी जाती है.

आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

भारत ने अब तक पूरी तरह स्वदेशी फाइटर जेट इंजन विकसित नहीं किया है, लेकिन इस दिशा में प्रयास लगातार जारी हैं. DRDO और HAL लंबे समय से ‘कावेरी इंजन’ प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. यह इंजन भविष्य के स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रमों - जैसे तेजस मार्क-II और AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) — के लिए तैयार किया जा रहा है. यदि यह सफल होता है, तो भारत भी इंजन निर्माण में आत्मनिर्भर देशों की सूची में शामिल हो सकता है.

इंजन निर्माण की लागत: कितना आता है खर्च

फाइटर जेट इंजन बनाना किसी भी देश के लिए एक महंगा और जटिल प्रोजेक्ट होता है.

केवल रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) में ही 2 से 3 अरब डॉलर (लगभग 16 से 25 हजार करोड़ रुपये) तक खर्च हो सकता है.

वहीं, एक इंजन के निर्माण पर 10 से 25 मिलियन डॉलर (लगभग 80 से 200 करोड़ रुपये) तक की लागत आती है.

यह खर्च इंजन की जटिलता, तकनीक, और उपयोग किए गए मटीरियल पर निर्भर करता है. जितनी अधिक उन्नत तकनीक, उतना अधिक खर्च.

क्यों मुश्किल है फाइटर जेट इंजन बनाना

फाइटर जेट इंजन को अत्यधिक तापमान, तेज गति और भारी दबाव में काम करना पड़ता है. इसके लिए सुपर-एलॉय धातुएं, उन्नत कूलिंग सिस्टम और माइक्रो-टर्बाइन टेक्नोलॉजी की जरूरत होती है. यह तकनीक इतनी जटिल है कि एक छोटी सी त्रुटि भी पूरे इंजन को बेकार बना सकती है.

इसी वजह से आज भी अधिकांश देश इंजन तकनीक के लिए अमेरिका, रूस या यूरोप जैसे विकसित देशों पर निर्भर हैं.