15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर इस बार भी राजनीति गर्मा गई। दिल्ली के लाल किले पर हर साल की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और देश को संबोधित किया, लेकिन इस कार्यक्रम में कांग्रेस के दो बड़े नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल नहीं हुए।
भाजपा ने उनकी गैरहाजिरी को मुद्दा बना लिया। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया कि राहुल गांधी "मोदी विरोध में देश और सेना का भी विरोध कर रहे हैं" और उन्हें “पाकिस्तान प्रेमी” तक कह डाला। उन्होंने कहा कि यह एक राष्ट्रीय उत्सव था, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसमें आकर संविधान और सेना के सम्मान का पालन नहीं किया।
राहुल गांधी ने हालांकि दिल्ली के इंदिरा भवन में स्वतंत्रता दिवस मनाया। यहाँ उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं के साथ ध्वजारोहण किया। मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और लोगों से देश की एकता, सामाजिक न्याय, आर्थिक सशक्तिकरण और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया। राहुल गांधी ने अपने संदेश में कहा कि यह स्वतंत्रता हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान से मिली है और इसका मतलब है एक ऐसा भारत बनाना, जो सत्य, समानता और बंधुत्व पर खड़ा हो।
पिछले साल भी लाल किले पर राहुल गांधी को लेकर विवाद हुआ था। उस समय उन्हें पिछली पंक्तियों में बैठाया गया था, जबकि प्रोटोकॉल के हिसाब से विपक्ष के नेता को आमतौर पर आगे बैठाया जाता है। विपक्ष ने इसे उनका और जनता का अपमान बताया, लेकिन सरकार ने सफाई दी कि आगे की पंक्तियों की सीटें ओलंपिक खिलाड़ियों को दी गई थीं। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि खिलाड़ियों को जगह देने के लिए राहुल गांधी को पीछे बैठाया गया था।
इस बार राहुल गांधी और खड़गे की पूरी तरह अनुपस्थिति ने फिर से राजनीतिक बहस को हवा दे दी। भाजपा इसे देश के सम्मान से जुड़ा मुद्दा बता रही है, जबकि कांग्रेस कह रही है कि उन्होंने स्वतंत्रता दिवस अपने तरीके से और पूरे सम्मान के साथ मनाया।
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