उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठनात्मक स्तर पर बड़े फेरबदल की तैयारी में है. पार्टी अपने प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा कभी भी कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व ने संभावित नाम पर लगभग सहमति बना ली है और इसे अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखा गया है. हालांकि पार्टी की ओर से आधिकारिक बयान अभी नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस महीने बड़ा ऐलान निश्चित है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को राजधानी लखनऊ में दिनभर राजनीतिक हलचल तेज रही. पहले सह सरकार्यवाह अरुण कुमार और भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने संघ पदाधिकारियों के साथ एक निजी होटल में बैठक की. इसके कुछ ही घंटे बाद मुख्यमंत्री आवास में एक और बड़ी बैठक आयोजित की गई.
इसमें सीएम योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन से जुड़े अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. सूत्र बताते हैं कि इस बैठक में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सुझाए गए नामों पर विस्तृत चर्चा की गई और आगे की रणनीति पर विचार हुआ.
हालांकि यह अभी साफ नहीं है कि RSS और योगी आदित्यनाथ की सहमति मिल चुकी है या किसी एक-दो नाम पर और विचार किया जाएगा.
दिल्ली में हाल ही में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में भाजपा हाईकमान ने यूपी अध्यक्ष के लिए 9 संभावित नामों पर चर्चा की थी. इन नामों में जातीय संतुलन को बेहद गंभीरता से तौला गया.
सूत्रों के अनुसार इन 9 नामों में —
इसे आने वाले लोकसभा उपचुनाव और 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
अटकलों की मानें तो भाजपा कई मजबूत चेहरों पर विचार कर रही है. संभावित दावेदारों में शामिल नाम इस प्रकार हैं:
ब्राह्मण चेहरे
ओबीसी चेहरा
दलित चेहरे
इन नामों के सामने आने के बाद राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस बार जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा नेता चुन सकती है जो संगठन के साथ-साथ 2027 के राजनीतिक समीकरण को भी मजबूती दे सके.
यूपी भाजपा अध्यक्ष का पद सिर्फ संगठन संचालन का नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का भी केंद्र है.
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि भाजपा इस महीने किसी भी समय यूपी अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर सकती है. लगातार बैठकों और राष्ट्रीय-राज्य नेतृत्व के बीच समन्वय से यह लगभग तय माना जा रहा है कि फैसला हो चुका है—बस औपचारिक घोषणा बाकी है.
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