सुप्रीम कोर्ट के कक्ष में सोमवार (6 अक्टूबर 2025) को एक असामान्य और विवादित घटना घटी. सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित एक वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) बीआर गवई के सामने जमकर हंगामा किया. इस दौरान उसने अपने जूते निकालने की भी कोशिश की. जब सुरक्षाकर्मियों ने उसे बाहर निकालने का प्रयास किया, तब भी उसने बाहर जाते समय जोर से नारा लगाया, “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान.” घटना सुबह लगभग 11 बजे हुई.
इस मामले के बाद CJI बीआर गवई ने कोर्ट में उपस्थित वकीलों से शांति बनाए रखने और अपना काम जारी रखने का आग्रह किया. उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसी घटनाओं या नारों से वह प्रभावित नहीं होते और न्यायिक प्रक्रिया अपने निर्धारित मार्ग पर जारी रहेगी.
यह घटना उस समय और अधिक विवादास्पद हो गई जब यह पता चला कि वकील की नाराजगी हाल ही में खजुराहो में भगवान विष्णु की सात फीट ऊंची मूर्ति से जुड़ी टिप्पणी से थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए CJI गवई ने कहा था, "जाओ और भगवान से ही कुछ करने के लिए कहो. तुम कहते हो कि तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, तो अब जाओ और प्रार्थना करो. यह एक पुरातात्विक स्थल है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को अनुमति देनी होगी."
CJI की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और कई यूजर्स ने इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला करार दिया.
खुली अदालत में इस विवाद पर बात करते हुए CJI गवई ने स्पष्ट किया कि उनका कोई अनादर करने का इरादा नहीं था. उन्होंने कहा, "मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं. यह सिर्फ सोशल मीडिया पर हुआ."
केंद्र सरकार के प्रतिनिधि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी CJI का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर अक्सर घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है. उन्होंने बताया कि हर प्रतिक्रिया का सोशल मीडिया पर असमानुपातिक रूप से प्रभाव दिखाई देता है.
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हंगामा करने वाला वकील इसी टिप्पणी से आक्रोशित था और आवेश में आकर यह कदम उठाया. हालांकि, न्यायपालिका की साख और स्थिरता को देखते हुए, चीफ जस्टिस ने स्थिति को नियंत्रित करते हुए शांति बनाए रखने का संदेश दिया.
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