कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच "वोट चोरी" विवाद तेज हो गया है। राहुल गांधी ने हाल ही में आरोप लगाया था कि भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से देशभर में बड़े पैमाने पर चुनावी धांधली हुई है। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 वोट गलत तरीके से जोड़े गए या फर्जी थे, जिनमें डुप्लीकेट मतदाता, अमान्य पते वाले मतदाता और एक पते पर कई मतदाता शामिल थे।
राहुल गांधी ने कहा कि इस गड़बड़ी ने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के नतीजों को प्रभावित किया, जहां भाजपा ने करीब 33 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल की। उनका आरोप है कि यह “वोट चोरी मॉडल” देश के कई निर्वाचन क्षेत्रों में इस्तेमाल हुआ, जिससे लोकतंत्र पर खतरा है और न्यायपालिका को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से सबूत पेश करने और एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा है, जिसमें गलत तरीके से जोड़े या हटाए गए मतदाताओं के नाम और विवरण हों। आयोग का कहना है कि अगर राहुल गांधी अपने आरोपों पर भरोसा करते हैं, तो उन्हें नियमों के तहत हलफनामा देने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूचियां पारदर्शी तरीके से बनाई गईं और अगस्त-सितंबर 2024 में कांग्रेस के साथ साझा की गई थीं, लेकिन उस समय कोई आपत्ति दर्ज नहीं हुई।
राहुल गांधी ने जवाब दिया कि वे पहले ही संसद में संविधान की शपथ ले चुके हैं और यह हलफनामा मांगना गैरज़रूरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में चुनाव आयोग की वेबसाइटें बंद कर दी गईं ताकि जनता सवाल न पूछ सके। उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा में भी फर्जी मतदाताओं के जुड़ने के उदाहरण दिए और कहा कि मतदान के दिन शाम 5 बजे के बाद अचानक वोटिंग में भारी बढ़ोतरी हुई।
इस पूरे विवाद से साफ है कि आने वाले समय में “वोट चोरी” और मतदाता सूची की पारदर्शिता को लेकर राजनीतिक टकराव और बढ़ सकता है।
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