संसद के मानसून सत्र में 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकी हमले को लेकर जोरदार बहस जारी है। सोमवार को लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर चर्चा की शुरुआत की थी, जो देर रात तक चली। मंगलवार को चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस हमले के गुनहगारों को सेना ने ‘ऑपरेशन महादेव’ में मार गिराया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि मारे गए आतंकवादी पाकिस्तान के थे और इसके सबूत मौजूद हैं।
लेकिन विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में तीखा हमला करते हुए कहा कि सरकार ने लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई और केवल 30 मिनट में पाकिस्तान के सामने सरेंडर कर दिया। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने खुद बताया कि दोपहर 1:35 बजे पाकिस्तान को सूचित कर दिया गया था कि भारत की तरफ से हमला किया गया है और आगे कोई तनाव नहीं बढ़ाना चाहते। राहुल गांधी ने इसे एक कमजोर प्रतिक्रिया बताया।
राहुल गांधी ने उदाहरण देते हुए कहा कि 1971 में इंदिरा गांधी ने अमेरिका की धमकियों की परवाह नहीं की थी और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध किया था, जिसके नतीजे में 1 लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने सरेंडर किया था। उन्होंने कहा कि उस समय सेना को पूरी आजादी दी गई थी, लेकिन आज की सरकार सैनिकों को पूरी तरह से स्वतंत्रता नहीं देती।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी घेरते हुए कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 29 बार कहा कि उन्होंने भारत-पाक के बीच युद्ध रुकवाया। अगर हिम्मत है तो पीएम मोदी संसद में आकर कहें कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं। राहुल ने कहा कि इंदिरा गांधी में जितना साहस था, अगर उसमें से 50 प्रतिशत भी इस सरकार में हो तो प्रधानमंत्री खुद यह बयान देंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार को सेना पर भरोसा होना चाहिए और उन्हें खुलकर काम करने देना चाहिए। सेना तभी पूरी ताकत से काम कर सकती है जब राजनीतिक नेतृत्व उसे पूरी छूट दे।
राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने कश्मीर, यूपी और कई जगह जाकर हमले में मारे गए जवानों के परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने यह भी कहा कि जो जवान जान हथेली पर लेकर देश के लिए लड़ते हैं, उन्हें "टाइगर" की तरह आज़ादी दी जानी चाहिए।
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