रविवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) संग्रह 16.4% बढ़कर ₹2.01 लाख करोड़ हो गया है। पिछले साल मई 2024 में यह आंकड़ा ₹1.73 लाख करोड़ था।
इस महीने CGST, SGST, IGST और उपकर सभी में साल-दर-साल बढ़त दर्ज की गई है।
अप्रैल-मई 2025-26 के दौरान कुल जीएसटी संग्रह ₹4.38 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि (₹3.83 लाख करोड़) की तुलना में 14.3% अधिक है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल जीएसटी संग्रह ₹22 लाख करोड़ रहा, जो 9.4% की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। इसके पहले 2023-24 में संग्रह ₹20.18 लाख करोड़ था, जो 11.7% की वृद्धि के साथ दर्ज किया गया था।
इन आंकड़ों से साफ है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है, जिसे घरेलू खपत में सुधार और आयात गतिविधियों में तेजी ने सहयोग दिया है। यह आर्थिक सुधार और राजकोषीय मजबूती के संकेतक हैं, जो वैश्विक अस्थिरता के बीच भी भारत की आर्थिक लचीलापन को दर्शाते हैं।
भारत में जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ था।
इसके तहत राज्यों को पांच साल तक राजस्व नुकसान की भरपाई का आश्वासन दिया गया था, जैसा कि जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम, 2017 में प्रावधानित है।
हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, साबुन, डिटर्जेंट, वॉशिंग पाउडर, गेहूं, चावल, दही, लस्सी, छाछ, वॉशिंग मशीन, मोबाइल फोन जैसी आवश्यक वस्तुओं पर या तो जीएसटी दरें घटाई गई हैं या पूरी तरह खत्म की गई हैं, जिससे आम नागरिकों को सीधा लाभ हुआ है।
जीएसटी परिषद, एक संघीय निकाय जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री अध्यक्ष होते हैं और सभी राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य होते हैं, ने जीएसटी व्यवस्था को सुचारु रूप से लागू करने में अहम भूमिका निभाई है।
परिषद की अंतिम बैठक 21 दिसंबर को जैसलमेर, राजस्थान में हुई थी।
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