Fastag Annual Pass : देशभर में हाईवे और एक्सप्रेसवे पर सफर करने वाले ड्राइवरों के लिए टोल टैक्स हमेशा से एक चुनौती रहा है. हालांकि बीते कुछ सालों में फास्टैग की शुरुआत ने इस प्रक्रिया को आसान बना दिया. अब 15 अगस्त 2025 से सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है- एनुअल फास्टैग पास. इसका मकसद यात्रियों को झंझट-मुक्त और तेज टोल भुगतान की सुविधा देना है. लेकिन इस नई सुविधा के साथ कुछ सीमाएं भी जुड़ी हुई हैं.
एनुअल फास्टैग पास 1 साल के लिए बनाया जाता है. इसके लिए वाहन मालिक को 3000 रुपये चुकाने होते हैं. यह पास या तो 200 ट्रिप्स तक मान्य होता है, या फिर पूरे 12 महीने तक. इनमें से जो भी पहले पूरा हो जाए वही इसकी वैधता तय करता है. यानी बार-बार टोल पर रुकने और पेमेंट की दिक्कत खत्म हो जाती है. लेकिन यह सुविधा हर जगह उपलब्ध नहीं है.
सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह पास केवल उन्हीं हाईवे और एक्सप्रेसवे पर मान्य होगा जो नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अधीन आते हैं. जहां यह पास काम नहीं करेगा, उनमें शामिल हैं: उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे. महाराष्ट्र के समृद्धि महामार्ग और मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे. गोवा का अटल सेतु. इन सभी का संचालन राज्य सरकारों या निजी संस्थाओं के अधीन है, इसलिए यहां एनुअल पास की सुविधा नहीं मिलेगी.
लोगों के मन में बड़ा सवाल यही है कि अगर पास काम नहीं करेगा तो टोल कटेगा कैसे? इसका समाधान भी मौजूद है. एनुअल फास्टैग पास आपके मौजूदा फास्टैग अकाउंट से लिंक रहेगा. जिन टोल प्लाजा पर यह मान्य नहीं होगा, वहां सामान्य तरीके से आपके फास्टैग अकाउंट से पैसे कट जाएंगे.
इसलिए अगर आप ऐसे रूट से गुजर रहे हैं जहां स्टेट हाईवे और नेशनल हाईवे दोनों मौजूद हैं, तो सिर्फ पास पर भरोसा करना ठीक नहीं. आपके फास्टैग वॉलेट में बैलेंस होना जरूरी है.
एनुअल फास्टैग पास उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो नियमित तौर पर एनएचएआई हाईवे से सफर करते हैं. इससे समय और झंझट दोनों की बचत होती है. लेकिन अगर आपकी यात्रा अक्सर उन एक्सप्रेसवे या स्टेट हाईवे से होती है जो एनएचएआई के अंतर्गत नहीं आते, तो आपको अतिरिक्त टोल पेमेंट के लिए तैयार रहना होगा.
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