शारदीय नवरात्र, दुर्गा पूजा और दशहरा हिंदुओं के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण समय होते हैं. यह समय सिर्फ पूजा-पाठ का ही नहीं, बल्कि खरीदारी का भी होता है. इस दौरान लोग घर की बड़ी-छोटी वस्तुओं से लेकर गहनों, इलेक्ट्रॉनिक्स और यहां तक कि कारों तक की खरीदारी करते हैं. लेकिन इस साल दशहरा सोने के कारोबारियों के लिए उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा.
इस साल सोने की बिक्री में लगभग 25% की कमी देखी गई है. इसके पीछे मुख्य वजह सोने की बढ़ी हुई कीमतें हैं. इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, इस साल दशहरा पर सिर्फ 18 टन सोना बिका, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 24 टन सोने की बिक्री हुई थी. ग्राहकों का मानना है कि इतनी महंगी कीमतों में सोना खरीदना मुश्किल हो गया है.
इस साल दशहरा, जो 2 अक्टूबर को मनाया गया, पर 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का खुदरा भाव 1.16 लाख रुपये था. यह पिछले साल के 78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से लगभग 48% अधिक है. इसके अलावा ग्राहकों को 3% GST और ज्वैलरी मेकिंग चार्ज 15-30% के बीच देना पड़ता है. इन अतिरिक्त खर्चों ने भी सोने की मांग को प्रभावित किया.
IBJA के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ने बताया कि इस साल ग्राहक नया सोना खरीदने के बजाय पुराने सोने की अदला-बदली पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. उनका कहना है कि लोगों को लगता है कि सोने की कीमतें जल्द ही नीचे नहीं आएंगी. इसके चलते ग्राहक अब आने वाले धनतेरस, दिवाली और शादी के मौसम के लिए अपने ऑर्डर पहले ही दे रहे हैं.
IBJA के अनुसार आज सुबह 10 बजे 24 कैरेट 10 ग्राम सोने का रेट 1,16,833 रुपये था. वहीं 999 शुद्ध चांदी का 1 किलो रेट 1,35,010 रुपये दर्ज किया गया.
इस साल दशहरा पर सोने की मांग में गिरावट ने यह साफ कर दिया है कि कीमतें अगर बहुत बढ़ जाएँ तो पारंपरिक त्योहारी खरीदारी भी प्रभावित हो जाती है. हालांकि, भविष्य में आने वाले त्योहारों और शादी के सीज़न में यह मांग फिर से बढ़ सकती है.