गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने मृतकों के परिवारों को ऐसा गहरा दुख दिया है, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। हादसे के बाद शवों की पहचान करना बहुत कठिन हो गया है। कई परिजन अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के पोस्टमॉर्टम कक्ष के बाहर लगातार इंतजार कर रहे हैं, बस अपने अपनों की कोई आखिरी झलक पाने की उम्मीद में।
शनिवार को एक शख्स अस्पताल पहुंचा और अधिकारियों से अपने पूरे परिवार के सभी अवशेष सौंपने की गुहार लगाई, ताकि वह ठीक से अंतिम संस्कार कर सके। लेकिन अधिकारियों के लिए उसे समझाना बेहद मुश्किल था कि ऐसा संभव नहीं है, क्योंकि कई शव जलने और टुकड़ों में मिलने की वजह से पूरी तरह पहचान में नहीं आ रहे।
इस त्रासदी की भयावहता तब और सामने आई जब एक बॉडी बैग से दो अलग-अलग लोगों के सिर मिले। इस कारण पूरे डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया को फिर से शुरू करना पड़ा, जो करीब 72 घंटे का समय लेती है। अधिकारियों ने कहा कि जब एक बैग में दो लोगों के अवशेष मिलते हैं, तो हम बिना पुष्टि के कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि गलती की कोई गुंजाइश नहीं है।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, हादसे में मिले अवशेषों को बॉडी बैग्स में रखा जाता है और फिर डीएनए जांच के बाद ही उन्हें परिजनों को सौंपा जाता है। हालांकि, ये गारंटी नहीं दी जा सकती कि हर मृतक के पूरे शरीर के अंग मिल पाएंगे, क्योंकि अधिकांश अवशेष बुरी तरह से जल चुके हैं।
एक अधिकारी ने बेहद भावुक होकर कहा, "इन टुकड़ों में सिर्फ मांस नहीं है, इनमें किसी का बेटा है, किसी की मां, किसी का सपना और सहारा छुपा है।" हर ताबूत सिर्फ एक शरीर नहीं, बल्कि एक अधूरी कहानी, एक बिखरा हुआ संसार है।
यह हादसा सिर्फ जानें नहीं ले गया, बल्कि जिंदगी से जुड़ी उम्मीदें, रिश्ते और सपनों को भी राख कर गया। यह साबित करता है कि कभी-कभी मौत भी इतनी बेरहम हो सकती है कि अपने अपनों को विदा देना एक युद्ध जैसा बन जाता है।
Copyright © 2025 The Samachaar
