भारत में इस बार का त्योहारी सीजन डिजिटल पेमेंट्स के लिहाज से खास रहा. यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने सभी पेमेंट मोड्स को पीछे छोड़ते हुए नया रिकॉर्ड बनाया. बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में UPI के जरिए कुल 17.8 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ. यह पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है और माहाना वृद्धि दर भी 2.6 फीसदी रही. विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़त यह संकेत देती है कि लोग अब छोटे-बड़े सभी लेनदेन के लिए UPI को प्राथमिकता दे रहे हैं.
इस त्योहारी सीजन में डेबिट कार्ड्स ने भी मजबूत वापसी की. रिपोर्ट के मुताबिक, डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन बढ़कर 65,395 करोड़ रुपये हो गए, जबकि पिछले साल यह सिर्फ 27,566 करोड़ रुपये थे. यानी लोगों ने सीधे अपने बैंक खाते से पैसे निकालकर खरीदारी करने को ज्यादा तरजीह दी. इसके विपरीत, क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन में गिरावट देखी गई. इसका मतलब है कि लोग अब उधार लेने के बजाय तत्काल भुगतान करना पसंद कर रहे हैं.
रिपोर्ट में यह भी देखा गया कि औसत प्रति लेनदेन खर्च के मामले में डेबिट कार्ड्स सबसे ऊपर रहे. डेबिट कार्ड्स पर औसत ट्रांजैक्शन खर्च 8,084 रुपये रहा, जबकि UPI पर यह सिर्फ 1,052 रुपये और क्रेडिट कार्ड्स पर 1,932 रुपये रहा. इससे स्पष्ट होता है कि बड़ी खरीदारी के लिए लोग कार्ड्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि रोजमर्रा के छोटे लेनदेन के लिए UPI सबसे सुविधाजनक तरीका बन गया है.
UPI की बढ़ती लोकप्रियता का मुख्य कारण इसकी सुविधा और त्वरित लेनदेन प्रक्रिया है. किसी भी ऐप के जरिए तुरंत पैसे ट्रांसफर करना, छोटे-मोटे बिलों का भुगतान और ऑनलाइन शॉपिंग में सहजता ने इसे हर वर्ग के लोगों के लिए आकर्षक बना दिया है. त्योहारी सीजन में लोग छोटे-छोटे खरीदारी के लिए UPI का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि बड़ी रकम के लिए अभी भी कार्ड्स का इस्तेमाल जारी .
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