आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में स्थित काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री वेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित है. हर वर्ष यहां हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं, विशेषकर एकादशी के दिन यहां भक्तों की बड़ी भीड़ देखी जाती है. मान्यता है कि जो व्यक्ति यहां सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
काशीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है. माना जाता है कि इसका निर्माण विजयनगर साम्राज्य के समय हुआ था. स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, यह स्थान वही है जहां भगवान विष्णु ने अपने दिव्य स्वरूप में प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए थे. तभी से यह स्थान आस्था का केंद्र बन गया. इस मंदिर में पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह जगह मनोकामना पूरी होने के लिए प्रसिद्ध मानी जाती है.
इस मंदिर की पूजा-पद्धति और परंपराएं तिरुपति बालाजी मंदिर जैसी ही हैं. इसी कारण इसे लोग ‘पूर्व का तिरुपति’ भी कहते हैं. मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के साथ देवी पद्मावती और भगवान विष्णु के अन्य स्वरूपों की मूर्तियां भी स्थापित हैं. श्रद्धालु मानते हैं कि यहां दर्शन करने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है जितना तिरुपति बालाजी के दर्शन से मिलता है.
काशीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर में एकादशी, ब्रह्मोत्सव और वैकुंठ एकादशी जैसे अवसरों पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इन दिनों मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान वेंकटेश्वर की पूजा करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
यहां आने वाले श्रद्धालु पहले नागावली नदी में स्नान करते हैं, जिसे पवित्र माना जाता है. ऐसा विश्वास है कि इस नदी में स्नान करने से तन और मन दोनों शुद्ध हो जाते हैं और उसके बाद जब भक्त मंदिर में पूजा करते हैं, तो भगवान उनकी प्रार्थनाएं स्वीकार करते हैं.
काशीबुग्गा वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण स्थान है. शांत वातावरण और भक्ति की भावना से भरा यह मंदिर हर आगंतुक को गहरी श्रद्धा और मानसिक शांति का अनुभव कराता है. यही कारण है कि यह मंदिर आंध्र प्रदेश की आस्था का एक प्रमुख प्रतीक बन गया है
Copyright © 2025 The Samachaar
