पंजाब सरकार ने अपने वित्तीय संकट से राहत पाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि उन सरकारी संपत्तियों की आरक्षित कीमतें घटाई जाएंगी, जो कई बार नीलामी में रखे जाने के बावजूद नहीं बिक पाई थीं। इन संपत्तियों की कीमत लगभग 8,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि पहले तय दाम बहुत ज़्यादा थे, जिसके कारण खरीदार नीलामी में हिस्सा नहीं ले रहे थे। अब नए मूल्य तय करने के बाद उम्मीद है कि संपत्तियां आसानी से बिक सकेंगी।
सरकार जिन संपत्तियों की कीमतें घटाने जा रही है, उनमें कई अहम जगहों की जमीनें और भवन शामिल हैं —
पटियाला का पुराना बस स्टैंड,
लुधियाना और पटियाला में बिजली विभाग की संपत्तियां,
लुधियाना का लाडोवाल सीड फार्म,
डीसी दफ्तर के सामने और रानी झांसी रोड की प्रमुख भूमि।
इन संपत्तियों का स्वामित्व पंजाब राज्य विद्युत निगम, मंडी बोर्ड, नगर निगमों और सिंचाई, आवास, खेल, परिवहन विभागों आदि के पास है।
सरकार ने तय किया है कि संपत्तियों की नई कीमत तय करने के लिए तीन स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता नियुक्त किए जाएंगे। ये मूल्यांकनकर्ता आयकर विभाग या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक के पैनल से चुने जाएंगे। नई कीमत एक साल तक मान्य रहेगी। यदि इसके बाद भी संपत्तियाँ नहीं बिकती हैं, तो उनके दाम में पहले 10% और फिर 5% तक की अतिरिक्त कटौती की जाएगी।
कैबिनेट ने अन्य कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए —
जेलों में आपराधिक गतिविधियों की निगरानी के लिए बीएसएफ और सीआरपीएफ से 6 स्निफर डॉग्स खरीदे जाएंगे।
ग्रुप हाउसिंग स्कीम 2025 के तहत फ्लैट बनाने वाली सहकारी समितियों को जमीन मिलेगी।
बाढ़ प्रभावित किसानों को नुकसान के अनुसार ₹10,000 से ₹20,000 प्रति एकड़ तक की राहत दी जाएगी।
आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए सहायता राशि ₹6,500 से बढ़ाकर ₹40,000 कर दी गई है।
राज्य सरकार ने ब्यास और सतलुज नदियों से गाद निकालने की अनुमति देने का भी निर्णय लिया है। मंत्री बरिंदर गोयल के अनुसार, 85 स्थानों पर काम होगा, जिससे लगभग 190 करोड़ घन फीट गाद निकाली जाएगी, जिसका मूल्य करीब ₹840 करोड़ है। हालांकि, ब्यास नदी रामसर स्थल होने के कारण इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति आवश्यक होगी।
कैबिनेट ने यह भी तय किया है कि राज्य में प्रवेश करने वाले खनिज वाहनों पर शुल्क लगाया जाएगा। साथ ही, मंडी गोबिंदगढ़ और खन्ना की रोलिंग मिलों को कोयले से प्राकृतिक गैस में बदलने की प्रक्रिया पर निगरानी रखने के लिए एक उप-समिति बनाई गई है।