पंजाब सरकार धार्मिक ग्रंथों के अपमान (जैसे श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी) पर मौत या उम्रकैद की सजा देने वाला एक सख्त कानून लाने की तैयारी कर रही है। यह कानून 10 जुलाई से शुरू हो रहे पंजाब विधानसभा सत्र में पेश किया जा सकता है।
2018 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करते हुए एक बिल पास किया था, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था। लेकिन केंद्र सरकार ने यह कहकर उसे वापस लौटा दिया कि अब भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 लागू हो गई है, इसलिए नया कानून उसी के हिसाब से बनाया जाए।
पटियाला जिले में एक पूर्व सैनिक गुरजीत सिंह श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के खिलाफ बीएसएनएल टावर पर चढ़कर मौत की सजा की मांग कर रहा है। इसी के चलते पंजाब सरकार ने जल्दी से विधानसभा सत्र बुलाकर यह बिल पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है।
सरकार चाहती है कि धार्मिक ग्रंथों के अपमान पर सीधी मौत की सजा या उम्रकैद का प्रावधान किया जाए। लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि अगर बिल में मौत की सजा रखी गई तो वह कानूनी रूप से टिक नहीं पाएगा, इसलिए सरकार ने कानूनी सलाहकारों से राय लेना शुरू कर दिया है।
धारा 298 – धार्मिक स्थल या वस्तु को नुकसान पहुंचाने पर 2 साल तक की सजा या जुर्माना।
धारा 299 – धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर 3 साल तक की सजा या जुर्माना।
धारा 300 – धार्मिक आयोजन में बाधा डालने पर 1 साल तक की सजा या जुर्माना।
अब सबकी नजर इस पर है कि सरकार इस बिल में मौत की सजा रखती है या उम्रकैद। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि बिल कानूनी जांच में कितना मजबूत निकलता है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की इच्छा है कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर कड़ी से कड़ी सजा हो ताकि भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके।
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