पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ाते हुए यमुना प्राधिकरण अब हाइड्रोजन बसें चलाने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले लेह-लद्दाख में हाइड्रोजन बसों की शुरुआत की गई थी, और अब यमुना सिटी देश का दूसरा शहर बनेगा जहाँ ये बसें सड़कों पर दौड़ेंगी। इन बसों से प्रदूषण नहीं बल्कि केवल पानी की भाप निकलेगी, जिससे वातावरण पूरी तरह स्वच्छ रहेगा।
इस योजना को नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) ने तैयार किया है। एनटीपीसी ने यमुना सिटी में हाइड्रोजन बसें चलाने का प्रस्ताव दिया है, जिसे नवंबर के मध्य तक शुरू करने की योजना है। शुरुआत में चार लग्जरी एसी बसें लगाई जाएंगी, जिनमें 45 सीटें होंगी। एक बार ईंधन भरने के बाद ये बसें करीब 600 किलोमीटर तक चल सकेंगी।
इस प्रोजेक्ट के तहत बसों में हाइड्रोजन भरना और उनका रखरखाव एनटीपीसी संभालेगी। जबकि ड्राइवर और कंडक्टर की जिम्मेदारी यमुना विकास प्राधिकरण की होगी। यह प्रोजेक्ट तीन साल का पायलट चरण रहेगा। अगर यह सफल रहा, तो भविष्य में दिल्ली-एनसीआर के अन्य हिस्सों में भी हाइड्रोजन बसें चलाई जा सकती हैं।
इन बसों के लिए इस्तेमाल होने वाला हाइड्रोजन ईंधन ग्रेटर नोएडा में एनटीपीसी के प्लांट में तैयार किया जाएगा। यह हाइड्रोजन शोधित (ट्रीट किए गए) गंदे पानी से बनाई जाएगी। यानी यह प्रोजेक्ट न केवल प्रदूषण कम करेगा, बल्कि गंदे पानी के पुनः उपयोग को भी बढ़ावा देगा।
इनमें से केवल पानी की भाप निकलती है, कार्बन उत्सर्जन नहीं होता।
एक बार फ्यूलिंग पर 600 किलोमीटर की यात्रा संभव है।
इनका इंजन शोर रहित होता है, जिससे सफर आरामदायक बनता है।
शोधित गंदे पानी से बना ईंधन पर्यावरण के लिए स्वच्छ और टिकाऊ है।
यमुना सिटी में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जुड़ी कनेक्टिविटी के लिए इलेक्ट्रिक बसें भी चलाई जाएंगी। उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही 500 बसों के संचालन का प्रस्ताव मंजूर कर चुकी है। एयरपोर्ट परिसर में इस्तेमाल होने वाले सभी वाहन इलेक्ट्रिक होंगे। इसके साथ ही यात्रियों की सुविधा के लिए इलेक्ट्रिक कैब सेवाएं और चार्जिंग स्टेशन नेटवर्क भी स्थापित किए जा रहे हैं।
यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ आर.के. सिंह ने बताया कि एनटीपीसी से हाइड्रोजन बसों का प्रस्ताव मिला है। इसे अगले महीने होने वाली बोर्ड बैठक में रखा जाएगा, और योजना है कि नवंबर के मध्य तक बसें सड़कों पर उतरेंगी।
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