बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ताजा रुझानों ने राज्य की राजनीति में बड़ी हलचल मचा दी है. इस बार के रुझान न सिर्फ वोटरों की पसंद दिखा रहे हैं, बल्कि पुराने राजनीतिक समीकरणों को भी पूरी तरह उलटते नजर आ रहे हैं. 243 सीटों वाली विधानसभा में एनडीए गठबंधन लगभग 191 सीटों पर आगे चल रहा है, जो बताता है कि यह चुनाव एकतरफा होता दिख रहा है. रोजगार और विकास के तमाम वादों के बावजूद तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन रुझानों में पिछड़ता हुआ दिखाई दे रहा है.
इस चुनाव में जेडीयू ने 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 76 सीटों पर बढ़त देखी जा रही है. यह प्रदर्शन 2020 के मुकाबले कहीं बेहतर है, जब पार्टी ने 115 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 43 सीटें जीती थीं. दूसरी तरफ बीजेपी ने भी इस बार बेहद दमदार प्रदर्शन किया है. 101 सीटों पर लड़ी बीजेपी 84 सीटों पर आगे चल रही है. पिछली बार बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़कर 74 सीटें जीती थीं, यानी इस बार उसकी पकड़ और मजबूत दिख रही है.
एनडीए में शामिल अन्य दलों का प्रदर्शन भी खासा मजबूत है. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटों पर बढ़त बना रखी है. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 20 सीटों पर बढ़त दिखाई दे रही है. 2020 में एलजेपी (आर) ने अकेले लड़कर सिर्फ 1 सीट जीती थी, ऐसे में इस बार का प्रदर्शन पार्टी के लिए बड़ा राजनीतिक कमबैक माना जा रहा है.
विपक्षी महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर यादव–मुस्लिम–मल्लाह वोटों को एकजुट करने की रणनीति अपनाई थी. हालांकि रुझानों में यह समीकरण कमजोर पड़ता दिख रहा है. फिर भी यह साफ दिखता है कि महागठबंधन में सबसे मजबूत पार्टी आरजेडी ही है, क्योंकि बाकी दलों का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा है.
अब तक आए रुझान साफ दिखा रहे हैं कि बिहार में एनडीए भारी बहुमत के साथ सत्ता की ओर बढ़ रहा है. यह नतीजे बताते हैं कि जनता ने इस बार स्थिरता और अनुभवी नेतृत्व पर भरोसा जताया है. वहीं महागठबंधन के सामने बड़ा सवाल खड़ा है कि आखिर उसकी रणनीति कहाँ चूक गई. आने वाले घंटों में अंतिम परिणाम तस्वीर को और स्पष्ट करेंगे, लेकिन रुझानों ने संकेत दे दिया है कि बिहार में सत्ता की कुर्सी किस ओर झुक रही है.
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