Weight Loss Drugs : आज की बदलती लाइफस्टाइल और फिजिकल एक्टिविटी की कमी ने मोटापे को हर उम्र के लोगों की सबसे बड़ी चिंता बना दिया है. इसे कम करने के लिए लोग डाइटिंग और एक्सरसाइज के साथ-साथ दवाइयों का सहारा भी ले रहे हैं. लेकिन सवाल उठता है कि क्या ये वेट लॉस ड्रग्स हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाते हैं या फिर यह सिर्फ एक मिथ है?
अमेरिका में की गई एक रिसर्च ने इस विषय पर कई अहम जानकारियां दीं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओजेम्पिक जैसी दवाओं पर अध्ययन किया गया. ये रिसर्च 'मास जनरल ब्रिघम' ग्रुप के डॉक्टरों ने किया, जिसमें यह साबित हुआ कि यह दवा केवल वजन कम करने में ही नहीं, बल्कि हार्ट डिजीज से जूझ रहे मरीजों के लिए भी कारगर साबित हो सकती है. जिन मरीजों ने इसका इस्तेमाल किया, उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत पहले की तुलना में काफी कम पड़ी.
इस अध्ययन के दौरान दो प्रमुख दवाओं पर खास फोकस किया गया – सेमाग्लूटाइड और टिर्जेपेटाइड. करीब 90,000 मरीजों को शामिल करते हुए रिसर्च में मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और हार्ट फेलियर से पीड़ित लोगों पर इसका असर देखा गया.
रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि वेट लॉस ड्रग्स से हार्ट अटैक का खतरा नहीं बढ़ता. बल्कि, सेमाग्लूटाइड लेने से हार्ट से जुड़ी समस्याओं और जल्दी मौत के चांस 42% तक कम हो गए. वहीं टिर्जेपेटाइड का असर इससे भी बेहतर रहा और यह आंकड़ा बढ़कर 58% तक पहुंच गया.
इससे यह साफ होता है कि नई पीढ़ी की दवाइयां न सिर्फ वजन घटाने में मदद करती हैं, बल्कि दिल को भी मजबूत बनाती हैं.
हालांकि, ये ध्यान रखना जरूरी है कि वेट लॉस ड्रग्स हमेशा असली और भरोसेमंद ब्रांड की ही होनी चाहिए. नकली या घटिया दवाओं का सेवन गंभीर खतरा पैदा कर सकता है. पुरानी दवाएं, जो हार्ट अटैक का कारण बनती थीं, अब मार्केट से हटा दी गई हैं. इसलिए किसी भी तरह की दवा शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बेहद जरूरी है.