भारतीय संस्कृति में सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि उसे परोसने और खाने के तरीकों को भी बेहद अहम माना गया है. अलग-अलग राज्यों में खानपान से जुड़ी परंपराएं देखने को मिलती हैं. दक्षिण भारत में केले के पत्ते पर खाना परोसना और खाना न सिर्फ परंपरा का हिस्सा है, बल्कि इसे शुभ और सेहतमंद भी माना जाता है. यही कारण है कि शादी-ब्याह, त्योहार और खास मौकों पर आज भी वहां केले के पत्तों का इस्तेमाल भोजन परोसने के लिए होता है.
केले के पत्ते का इस्तेमाल केवल भारत तक सीमित नहीं है. एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे कई देशों में लोग इसे भोजन बनाने और परोसने में उपयोग करते हैं. थाईलैंड और इंडोनेशिया में तो केले के पत्ते को स्टीमिंग और कुकिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, दक्षिण भारत में यह परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है जितनी सदियों पहले थी.
हालांकि केले के पत्तों का अपना कोई खास स्वाद नहीं होता, लेकिन जब गर्म खाना इसमें परोसा जाता है तो पत्तों से निकलने वाला प्राकृतिक तेल खाने को एक हल्का-सा ग्रासी फ्लेवर देता है. यही फ्लेवर भोजन में एक अलग खुशबू और ताजगी भर देता है. इसके अलावा पत्ते की नैचुरल वैक्स कोटिंग गर्माहट मिलने पर कुछ कंपाउंड्स रिलीज करती है, जिससे खाने में अलग सुगंध और हल्का स्वाद आता है. यानी कहा जा सकता है कि केले का पत्ता भोजन के स्वाद को और बेहतर बना देता है.
केले के पत्तों में प्राकृतिक रूप से पॉलीफेनोल्स, विटामिन ए और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. जब इनमें गर्म भोजन परोसा जाता है तो ये पोषक तत्व खाने में मिल जाते हैं और उसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू बढ़ा देते हैं. इसके अलावा पत्तों के एंटी-बैक्टीरियल गुण बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करते हैं, जिससे कई बीमारियों से बचाव हो सकता है. इतना ही नहीं, यह पूरी तरह इको-फ्रेंडली भी है, इसलिए पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित विकल्प माना जाता है.
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