कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाने वाला करवा चौथ हर सुहागिन के लिए सबसे पवित्र पर्व माना जाता है. यह दिन प्रेम, आस्था और समर्पण का प्रतीक है. 10 अक्टूबर 2025 को देशभर की विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करेंगी. सूर्योदय से लेकर चांद निकलने तक बिना पानी पिए व्रत रखना इस दिन का मुख्य नियम होता है.
इस साल करवा चौथ का चांद रात 8 बजकर 13 मिनट पर आसमान में नजर आएगा. हालांकि शहरों के अनुसार समय में कुछ मिनटों का अंतर संभव है. परंपरानुसार, चांद दिखने के बाद अगले 15 मिनट तक का समय पूजा के लिए सबसे शुभ माना गया है.
चांद निकलने के बाद पूजा की तैयारी करें. थाली में छलनी, पानी का लोटा, करवा, मिठाई, रोली, चावल, फूल और दीपक रखें.
1. सबसे पहले छलनी से चांद को देखें, फिर उसी छलनी से पति का चेहरा देखें.
2. चंद्रमा को जल से अर्घ्य दें, साथ में फूल और चावल जरूर रखें.
3. इसके बाद पति के हाथों से पानी और मिठाई खाकर व्रत खोलें.
4. अंत में पति के पैर छूकर आशीर्वाद लें. यही करवा चौथ व्रत का सबसे पवित्र क्षण होता है.
करवा चौथ की पूजा में कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है —
1. चंद्रमा को बिना अर्घ्य दिए व्रत कभी न खोलें.
2. पूरे दिन सात्विकता बनाए रखें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें.
3. पूजा के समय काले या सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचें. लाल, गुलाबी या पीले जैसे शुभ रंगों को प्राथमिकता दें.
करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते में गहराई और विश्वास का प्रतीक है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर, पारंपरिक पोशाकों में सजी-धजी, सजावट से सजे थालों के साथ पूजा करती हैं. यह व्रत न केवल प्रेम का उत्सव है, बल्कि यह इस बात की भी याद दिलाता है कि आस्था से बड़ा कोई बंधन नहीं होता.
10 अक्टूबर की रात जब आसमान में चांद अपनी रौशनी बिखेरेगा, तो हर सुहागिन की आंखों में अपने जीवनसाथी के लिए दुआएं होंगी. करवा चौथ का यह पर्व प्रेम, समर्पण और रिश्ते की मजबूती का सुंदर प्रतीक बनकर हर दिल में अमिट छाप छोड़ता है.
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