दूध को भारतीय खानपान में “सुपरफूड” का दर्जा हासिल है. चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग, दूध हर उम्र के व्यक्ति की सेहत को फायदा पहुंचाता है. इसमें मौजूद कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन D, पोटैशियम और अन्य पोषक तत्व न सिर्फ हड्डियों को मजबूत करते हैं बल्कि इम्यून सिस्टम और मांसपेशियों की मजबूती में भी मदद करते हैं.
लेकिन अक्सर एक सवाल लोगों को परेशान करता है- दूध पीने का सबसे सही समय कौन-सा है? और क्या दिन में किसी भी समय पीने से वही फायदा मिलता है? इस लेख में हम जानेंगे कि वयस्कों और बच्चों के लिए दूध पीने का उपयुक्त समय क्या है, कितनी मात्रा में पीना चाहिए और क्या इसे जरूरत से ज्यादा पीने से नुकसान भी हो सकता है?
आयुर्वेद के अनुसार वयस्कों के लिए दूध पीने का सबसे अच्छा समय रात को सोने से पहले माना जाता है. गर्म दूध शरीर को शांति देता है और इसमें मौजूद अमीनो एसिड मेलाटोनिन के निर्माण में मदद करते हैं, जो अच्छी नींद को बढ़ावा देता है. साथ ही यह कैल्शियम के अवशोषण में भी सहायक होता है.
बच्चों को सुबह दूध देना ज्यादा लाभकारी होता है. सुबह के वक्त दूध पीने से उन्हें दिनभर के लिए जरूरी ऊर्जा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट मिलते हैं. इससे वे एक्टिव और फोकस्ड रहते हैं और उनकी हड्डियों व मांसपेशियों का विकास भी बेहतर होता है.
आयुर्वेद के अनुसार दूध को अकेले ही लिया जाना चाहिए, यानी दूध के साथ खट्टी चीज़ें, नमकीन या फल नहीं खाने चाहिए. इससे पाचन ठीक रहता है और शरीर को दूध से मिलने वाले सभी पोषक तत्व पूरी तरह मिलते हैं.
हर व्यक्ति की आयु, स्वास्थ्य और शारीरिक गतिविधि के अनुसार दूध की मात्रा अलग हो सकती है. लेकिन औसतन ये मात्रा इस प्रकार हो सकती है:
1–2 साल के बच्चे: 1.5–2 कप (300–400 ml)
4–8 साल के बच्चे: 2.5 कप (500–600 ml)
स्वस्थ वयस्क: 3 कप (लगभग 750 ml)
कम सक्रिय वयस्क या वरिष्ठ नागरिक: 1.5–2 कप (500 ml तक)
हां, दूध भले ही फायदेमंद हो, लेकिन अगर जरूरत से ज्यादा पिया जाए तो ये सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है:
लैक्टोज इन्टॉलरेंस वालों को गैस, अपच, दस्त या पेट फूलने की समस्या हो सकती है. अधिक दूध पीने से कुछ लोगों को त्वचा पर मुंहासे हो सकते हैं. फुल-फैट दूध अधिक पीने से वजन और कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है. कुछ स्टडीज के अनुसार, जरूरत से ज्यादा दूध पीना प्रोस्टेट कैंसर के रिस्क को भी बढ़ा सकता है. दूध की अधिकता से बलगम, हार्मोनल असंतुलन और नींद में बाधा जैसे प्रभाव भी हो सकते हैं.
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