पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक और दर्दनाक घटना ने देशभर को झकझोर दिया. 17 साल की टिक टॉक स्टार सना यूसुफ की सोमवार को उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई. सना, जो खैबर पख्तूनख्वा के चितराल से ताल्लुक रखती थीं, इस्लामाबाद के सेक्टर G-13 में रहती थीं और इंस्टाग्राम पर उनके 5 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स थे.
पुलिस के मुताबिक, एक अज्ञात शख्स उनके घर आया और बेहद करीब से गोली मार दी. उसके बाद वह मौके से फरार हो गया. कई मीडिया रिपोर्टों का दावा है कि हमलावर संभवतः सना का मेहमान था पुलिस ने घटना के बाद इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन अभी तक आरोपी की पहचान या गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
सना का शव पोस्टमार्टम के लिए पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (PIMS) भेजा गया है. हत्या के पीछे की वजह फिलहाल स्पष्ट नहीं है, लेकिन ‘ऑनर किलिंग’ यानी इज़्ज़त के नाम पर हत्या की आशंका जताई जा रही है. इससे पहले इसी साल क्वेटा में एक 15 वर्षीय लड़की हिरा की हत्या उसके पिता और मामा ने केवल इसलिए कर दी थी क्योंकि वह टिक टॉक पर एक्टिव थी.
पाकिस्तान में ऑनर किलिंग कोई नई बात नहीं है. 2016 में सोशल मीडिया से चर्चित हुईं कंदील बलोच की हत्या भी उनके भाई ने ‘परिवार की इज़्ज़त’ के नाम पर कर दी थी. बाद में उसे उम्रकैद की सज़ा मिली. इन घटनाओं से यह सवाल फिर उठता है कि क्या सोशल मीडिया पर अपनी पहचान बनाना लड़कियों के लिए अब भी खतरे से खाली नहीं है? क्या आज़ादी से अपनी बात कहना अब भी अपराध है?
जहाँ एक तरफ दुनिया भर में डिजिटल प्लेटफॉर्म महिला सशक्तिकरण का माध्यम बन रहे हैं, वहीं पाकिस्तान जैसे समाजों में यह अब भी पारिवारिक असहिष्णुता और कट्टर मानसिकता का शिकार हो रहा है. सना यूसुफ की मौत एक चेतावनी है कि वर्चुअल आज़ादी की राह असल दुनिया में कितनी खतरनाक हो सकती है.
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