प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल से ज्यादा समय बाद चीन पहुंचे हैं। शनिवार को वे चीन के तियानजिन शहर में उतरे। इससे पहले उन्होंने जापान की यात्रा पूरी की, जहाँ उन्होंने परिवहन, अंतरिक्ष अनुसंधान और व्यापार जैसे क्षेत्रों में भारत-जापान संबंधों को और मजबूत किया।
पीएम मोदी अब 1 सितंबर तक चीन में रहेंगे। इस दौरान उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होगी। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि इसमें भारत-चीन आर्थिक संबंधों की समीक्षा की जाएगी और रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। पिछले कुछ वर्षों से दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति रही है, ऐसे में यह मुलाकात रिश्तों को नई दिशा देने का मौका बन सकती है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेंगे। यह सम्मेलन एशिया के कई अहम देशों को एक साथ लाता है, जहाँ सुरक्षा, व्यापार और आपसी सहयोग जैसे मुद्दों पर बातचीत होती है। भारत के लिए इस बार का सम्मेलन इसलिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने हाल ही में भारतीय सामान पर 50% टैरिफ (शुल्क) लगा दिया है, जिससे भारत के व्यापार पर असर पड़ सकता है। SCO की बैठक भारत को नए क्षेत्रीय साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाने का मौका दे सकती है।
यह दौरा कई मायनों में खास है। एक तरफ जहां मोदी और जिनपिंग की बातचीत से दोनों देशों के रिश्तों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर SCO सम्मेलन से भारत की क्षेत्रीय भूमिका और मजबूत हो सकती है।
जापान और अब चीन की लगातार यात्राएँ यह भी दिखाती हैं कि भारत एशिया के बड़े देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने पर ज़ोर दे रहा है। यह कदम न केवल भारत की आर्थिक और सामरिक स्थिति को मज़बूत करेगा, बल्कि बदलते वैश्विक माहौल में भारत को एक अहम संतुलनकारी शक्ति के रूप में भी स्थापित करेगा।
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