सोमवार, 28 जुलाई को संसद में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बहस हुई। विपक्ष की लंबे समय से मांग थी कि सरकार इस ऑपरेशन पर पूरी जानकारी दे और सवालों के जवाब दे। इसी को लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बयान दिया और एक-एक करके सभी सवालों का जवाब दिया।
विपक्ष को दिया करारा जवाब
राजनाथ सिंह ने कहा कि विपक्ष के कुछ नेता छोटे मुद्दों पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि देश की सुरक्षा और सेना का मनोबल कहीं ज्यादा बड़ा मुद्दा है। उन्होंने कहा, "जब हमारा लक्ष्य बड़ा होता है तो हमें छोटे-छोटे मुद्दों में उलझने से बचना चाहिए। नहीं तो हम असली मकसद से भटक सकते हैं।"
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि किसी भी परीक्षा में यह मायने नहीं रखता कि कितनी पेंसिल टूटी, बल्कि रिजल्ट मायने रखता है। यानी अगर सेना ने मिशन में अपना लक्ष्य हासिल किया है, तो छोटे विवादों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
भारतीय सेना को बताया शेर
अपने भाषण में रक्षामंत्री ने गोस्वामी तुलसीदास का हवाला देते हुए कहा कि युद्ध और प्रेम हमेशा बराबरी वालों से करना चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर शेर मेंढकों को मारेगा तो उसकी कोई इज्जत नहीं होगी। हमारी सेना शेर है, उसे कम मत समझिए।"
भारत की नीति – बुद्ध का रास्ता, लेकिन जवाब ज़रूरी
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत की मूल सोच शांति की है, युद्ध की नहीं। उन्होंने याद दिलाया कि 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान जाकर दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। लेकिन अब सरकार का रुख साफ है "आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।"
उन्होंने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा और कहा कि वहां लोकतंत्र नहीं है, धार्मिक उन्माद है और वहां की सरकार आतंकियों को राजकीय सम्मान देती है। ऐसे देश से बातचीत करना मुमकिन नहीं है।
रक्षामंत्री ने साफ किया कि ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह सफल रहा और सेना ने अपने लक्ष्य पूरे किए। उन्होंने विपक्ष को सलाह दी कि उन्हें छोटे मुद्दों पर ध्यान देने की बजाय, देश की सुरक्षा और सेना की सफलता को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह भाषण न केवल सेना के पराक्रम को सलाम करता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि भारत अब आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।
Copyright © 2025 The Samachaar
