नई दिल्ली के इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर (ISIC), वसंत कुंज में भर्ती 64 वर्षीय श्री कृष्ण पाल सिंह, जो CGHS लाभार्थी और डायलिसिस मरीज हैं, के परिवार ने अस्पताल पर गंभीर लापरवाही और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं. परिवार का कहना है कि मरीज को भर्ती हुए 12 दिन बीत गए, लेकिन अब तक सही इलाज शुरू नहीं हुआ.
मरीज के पुत्र अमित कुमार (एडिटर-इन-चीफ, सी एंड कोस्ट मरीटाइम मीडिया) ने बताया कि अस्पताल ने पहले 6 दिन मरीज को ICU में रखा, लेकिन कोई इलाज शुरू नहीं किया गया. उनका कहना है कि जब उन्होंने शिकायत की, तो डॉक्टरों ने धमकाना और इलाज रोकना शुरू कर दिया.
परिवार के अनुसार, डॉ. उदित गुप्ता ने मरीज को धमकाया और कहा - “अगर शिकायत करनी है तो इलाज नहीं मिलेगा और अगर इलाज चाहिए तो चुप रहो. इसी तरह, जब परिवार ने स्वास्थ्य मंत्रालय को ईमेल भेजा, तो डॉ. पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ (मेडिकल सुपरिंटेंडेंट) ने भी मरीज के अटेंडेंट से कहा - अब देखेंगे कि इलाज कैसे होता है!”
परिवार का कहना है कि मरीज को बुखार, पेट संक्रमण और GI ब्लीडिंग थी. एंडोस्कोपी और कोलोनोस्कोपी की अनुमति तीसरे दिन दी गई, पर सात दिन तक जांच नहीं की गई. गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर ने मरीज को कभी नहीं देखा, लेकिन रिकॉर्ड में लिखा गया कि उन्होंने विजिट की.
परिवार का आरोप है कि शिकायत के बाद डॉक्टरों ने मरीज का इलाज रोक दिया और जबर्दस्ती डिस्चार्ज की कोशिश की. जूनियर डॉक्टर शरिका (नेफ्रोलॉजी टीम) ने मरीज से कहा - “आपके बेटे ने शिकायत की है, इसलिए अब इलाज नहीं होगा, आपको यहाँ से जाना होगा.”
परिवार का दावा है कि फ्लोर सुपरवाइज़र शुभी और कोमल ने इलाज की शीट में बाद में दवाइयां जोड़ दीं ताकि रिकॉर्ड झूठा लगे. अस्पताल ने CGHS के नाम पर लाखों रुपये का बिल बनाया, जबकि मरीज को उचित उपचार नहीं मिला.
परिवार का आरोप है कि अस्पताल के पास CT स्कैन जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं है. 12 दिन ICU में रखने के बाद मरीज को 9 किलोमीटर दूर निजी सेंटर ले जाकर CT स्कैन कराया गया.
त्योहार और रविवार के दिनों में डॉक्टर व नर्सें मौजूद नहीं थीं. मरीज के साथ केवल उनकी बुजुर्ग पत्नी थीं, जिन्हें एम्बुलेंस में अकेले सफर करना पड़ा.
ICU में 6 दिन की कैद जैसी स्थिति ने मरीज पर गहरा मानसिक असर छोड़ा. परिवार का कहना है कि मरीज को “ICU Psychosis” हो गया है और वह डरा-सहमा रहता है.
परिवार ने सरकार से ये कदम उठाने की अपील की है –
1. अस्पताल का मेडिकल और फाइनेंशियल ऑडिट किया जाए.
2. डॉ. उदित गुप्ता, डॉ. पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ, JR डॉक्टर शरिका, शुभी और कोमल को निलंबित कर FIR दर्ज की जाए.
3. मरीज का इलाज सरकारी निगरानी में तुरंत शुरू किया जाए.
4. CGHS फंड की हेराफेरी और मानवाधिकार उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई हो.
5. IPC सेक्शन 304A, 336, 503, 420 और MCI Code of Ethics के तहत मुकदमा चलाया जाए.
“सरकारी अस्पतालों में भी इससे बेहतर इलाज होता है. यह अस्पताल जनता की सेवा के लिए बनाया गया था, न कि पैसे कमाने के लिए.अगर मेरे पिता को कुछ हुआ, तो हर दोषी को सजा मिलनी चाहिए.”…….अमित कुमार, पुत्र एवं शिकायतकर्ता
Copyright © 2025 The Samachaar
