प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पिछले कुछ महीनों से रिश्ते खास अच्छे नहीं चल रहे थे। मोदी ने ट्रंप के कई फोन कॉल का जवाब नहीं दिया, यहां तक कि उन्होंने कनाडा में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन के बाद डिनर का न्यौता भी ठुकरा दिया और न्यूयॉर्क की संयुक्त राष्ट्र महासभा की यात्रा भी रद्द कर दी।
असल में जून में हुई एक फोन कॉल ने रिश्तों को बिगाड़ दिया था। उस बातचीत में ट्रंप ने दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने का श्रेय उन्हीं को जाता है। लेकिन मोदी ने साफ कहा कि यह फैसला भारत और पाकिस्तान ने सीधे बातचीत से लिया था, इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं रही। मोदी ने ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार से जुड़े इशारों को भी नजरअंदाज कर दिया।
इसके बाद रिश्ते और खराब हो गए। ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने को लेकर निशाना साधा और भारी-भरकम टैरिफ लगा दिए। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को "मृत" तक कह डाला। उनके सलाहकारों ने भी भारत पर तीखे आरोप लगाए। इस बीच, व्यापार समझौते पर हो रही बातचीत भी टूट गई। नतीजा यह हुआ कि भारत चीन और रूस के और करीब जाता दिखा।
लेकिन हाल ही में हालात बदलने लगे। मोदी के जन्मदिन पर ट्रंप ने फोन करके उन्हें बधाई दी और सोशल मीडिया पर भी उनकी तारीफ की। उन्होंने मोदी के शांति प्रयासों को सराहा और कहा कि दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती है। मोदी ने भी एक्स पर जवाब देते हुए कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए वह पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
इसके बाद दोनों देशों के बीच फिर से बातचीत शुरू हुई। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली पहुंचा और व्यापार पर चर्चा को "सकारात्मक" बताया गया। ट्रंप ने भी कहा कि भारत और अमेरिका खास दोस्त हैं और व्यापारिक मतभेद जल्द सुलझ जाएंगे।
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