जम्मू-कश्मीर के डाचिगाम जंगलों में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है. पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड सुलैमान शाह समेत तीन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) आतंकियों को ऑपरेशन महादेव के तहत मार गिराया गया. इस कार्रवाई में मारे गए तीनों आतंकियों की पहचान की पुष्टि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने की है.
NIA ने कोट लखपत जेल में बंद आरोपियों को मुठभेड़ स्थल पर लाकर ऑन-स्पॉट वेरिफिकेशन कराया, जिसमें उन्होंने तीनों आतंकियों की पहचान की। बताया गया कि ये आतंकी पहले उनके ‘ढोक’ (अस्थायी ठिकाने) पर भी आए थे. इससे पहले CNN-News18 की रिपोर्ट में भी इन आतंकियों की भूमिका का खुलासा किया गया था.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह हाई-प्रिसीजन ऑपरेशन एक संयुक्त खुफिया प्रयास का नतीजा था, जिसमें मानव स्रोतों और तकनीकी निगरानी (satellite signal interception) की मदद से आतंकियों को ट्रैक किया गया. उसके बाद ज़बरवान और महादेव की पहाड़ियों के बीच सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन महादेव को अंजाम दिया.
सुलैमान शाह – बाईसारन हमले का मास्टरमाइंड, पाकिस्तान का नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था.
जिबरान – बताया जा रहा है कि यह पिछले वर्ष सोनमर्ग टनल हमले से जुड़ा हुआ था.
हमज़ा अफ़ग़ानी – लश्कर के ऑपरेशनल नेटवर्क में सक्रिय, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के खैगला का रहने वाला हूबैब ताहिर इसके असली नाम से पहचाना गया.
इन तीनों आतंकियों के नाम पहले से ही भारतीय एजेंसियों के रिकॉर्ड में थे. खासकर सुलैमान शाह को 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड माना जा रहा था, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी. ऑपरेशन महादेव के दौरान इनपुट में मिले सैटेलाइट फोन सिग्नल ने पूरे मिशन की दिशा तय की.
इस कार्रवाई से भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि सीमा पार से आतंकी भेजने की हर कोशिश का करारा जवाब मिलेगा. भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों के साझा प्रयासों से लश्कर के नेटवर्क को तगड़ा झटका लगा है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक हमारे लिए यह सिर्फ एक मुठभेड़ नहीं, बल्कि पहलगाम हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में निर्णायक कदम है.
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