दिल्ली में हाल की बाढ़ ने लोगों के लिए तो मुश्किलें पैदा की, लेकिन यमुना नदी के लिए यह एक अच्छी खबर साबित हुई। बाढ़ के कारण नदी का जलस्तर बढ़ा और तेज बहाव ने नदी में जमा प्रदूषकों को बहा दिया। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की नई रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में यमुना का पानी 2013 के बाद सबसे स्वच्छ स्तर पर पहुंच गया।
यमुना के विभिन्न हिस्सों में पानी के नमूनों में फेकल कॉलिफॉर्म (Faecal Coliform) का स्तर काफी कम हो गया। पल्ला में यह स्तर 790 MPN/100 ml था और ओखला बैराज पर 3,500 MPN/100 ml, जो कि स्वीकृत सीमा के करीब है। पिछले महीनों की तुलना में यह सुधार बहुत बड़ा है, उदाहरण के लिए, अगस्त में यह स्तर 54,000 और जुलाई में 92 लाख यूनिट तक था।
पानी में घुलित ऑक्सीजन (DO) 3.7 से 5.1 mg/l के बीच थी। बीओडी (Biological Oxygen Demand) भी काफी कम हुआ। ओखला बैराज पर बीओडी स्तर 13.5 mg/l दर्ज किया गया, जबकि अगस्त में यह 24 mg/l और जुलाई में 70 mg/l था। आईटीओ पर बीओडी मात्र 4 mg/l रहा, जो पिछले एक दशक में नीचे वाले हिस्सों में नहीं देखा गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सुधार बाढ़ के कारण हुआ फ्लश और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) में हाल ही में हुए सुधार के कारण है। बाढ़ के तेज बहाव ने प्रदूषकों को पतला कर दिया और कई नालों को बंद किया गया, जिससे untreated सीवेज नदी में कम मिला।
हालांकि यह सुधार केवल अस्थायी है। जैसे ही बाढ़ का पानी कम होगा, प्रदूषण फिर से बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली को पर्याप्त ई-फ्लो (कम से कम 23 क्यूसेक) सुनिश्चित करना होगा और नालों से untreated सीवेज को रोकना होगा, तभी स्थायी सुधार संभव है।
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