Sawan 2025 : श्रावण मास को भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना माना जाता है. इस पवित्र मास में भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक, बेलपत्र, और भस्म अर्पित कर भोलेनाथ को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, इसलिए उन्हें "आशुतोष" कहा जाता है -'आशु' यानी 'शीघ्र' और 'तोष' यानी 'संतोष'. सावन 2025 की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है, जो शिवभक्तों के लिए विशेष अवसर है.
समुद्र मंथन के समय विषपान करने के कारण भगवान शिव के शरीर में गर्मी उत्पन्न हुई थी. जल ही उन्हें शीतलता प्रदान करता है, इसलिए जलाभिषेक को सर्वोत्तम माना जाता है.
बेलपत्र की तीन पत्तियां शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक मानी जाती हैं. एक बेलपत्र चढ़ाने से करोड़ों कन्याओं के दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.
धतूरा चढ़ाने से मन की कड़वाहट दूर होती है. इसका एक फूल चढ़ाने का फल हजार नीलकमलों की भेंट के बराबर होता है.
शमी का फूल शिवलिंग पर अर्पित करना 1000 धतूरा चढ़ाने के बराबर पुण्य देता है, जबकि आक के फूल का दान सोने के बराबर फलदायक माना जाता है.
चंदन शिव को शीतलता देता है और मान-सम्मान बढ़ाता है. इनके अलावा दूध, कपूर, भांग, भस्म, चावल, रुद्राक्ष, ठंडाई, मालपुआ, और हलवा भी शिव को प्रिय माने जाते हैं.
भगवान शिव एक वैरागी देवता हैं. उन्हें श्रृंगार की चीजें जैसे हल्दी, मेहंदी, रोली बिल्कुल पसंद नहीं हैं.
शिवपुराण के अनुसार शंख से जल चढ़ाना वर्जित है क्योंकि शिव ने शंखचूड़ राक्षस का वध किया था.
तुलसी (पूर्व में वृंदा) के पति जलंधर का वध शिव ने किया था. इसलिए तुलसी पूजन शिव जी को नहीं किया जाता.
नारियल को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है, इसलिए इसका जल शिवलिंग पर अर्पित करना निषेध है.
केतकी फूल को शिव ने ब्रह्मा द्वारा झूठ बोलने के कारण शापित किया था, अतः यह फूल शिव पूजन में वर्जित है.
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