Katha Vachak Indresh Upadhyay wedding: आज वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय अपने जीवन के नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं. उनका विवाह शिप्रा के साथ जयपुर के ताज आमेर होटल में संपन्न हो रहा है. इस अवसर पर स्थल को ब्रज की पवित्रता और सौंदर्य के अनुसार सजाया गया है. शादी का माहौल इतना सजीव और साधारण रखा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है मानो पूरा वृंदावन जयपुर में उतर आया हो.
होटल के जयगढ़ लॉन में विवाह की सभी रस्में आयोजित की जा रही हैं. मंडप को आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर की शैली में सजाया गया है. सुबह से ही 101 वैदिक ब्राह्मण और पंडित मंत्रोच्चार कर रहे हैं, जिससे पूरे वातावरण में दिव्यता छा गई है.
दुल्हन शिप्रा गोल्डन साड़ी में मंडप में पहुंचीं. उनकी सादगी और सौंदर्य देखते ही बन रहे थे. विवाह का शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त में रखा गया है.
विवाह स्थल को ब्रज की परंपरा के अनुसार सजाने के लिए ताज आमेर होटल को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया और हर हिस्से को ब्रज के पवित्र स्थानों के नाम दिए गए:
वृंदावन: मुख्य मंडप स्थल गोकुल: विशेष आयोजन स्थल नंदगांव: अतिथियों के स्वागत का क्षेत्र बरसाना: रस्मों के लिए आरक्षित गोवर्धन: अन्य कार्यक्रमों के लिए
स्थल पर भगवान कृष्ण की रासलीला से जुड़े सुंदर कटआउट और सजावट की गई है. हर मेहमान को ब्रज की भूमि का अनुभव यहां महसूस होता है.
ये विवाह ब्रज की प्राचीन वैदिक परंपरा के अनुसार संपन्न हो रहा है. वृंदावन के विद्वान ब्राह्मणों के साथ काशी, उज्जैन और नासिक के विशेष ब्राह्मण भी आमंत्रित किए गए हैं. सभी मिलकर विवाह को विधिवत और धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न कर रहे हैं.
विवाह समारोह में देश के कई प्रतिष्ठित संत और महात्मा उपस्थित हैं, जो नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दे रहे हैं. इनमें शामिल हैं:
देवकीनंदन ठाकुर अनिरुद्धाचार्य महाराज जगद्गुरु रामभद्राचार्य के प्रतिनिधि रामचंद्र दास बद्रीनाथ वाले महाराज बाल योगेश्वर दास
शादी की सभी रस्मों के बाद शाम 6 बजे से आशीर्वाद समारोह और प्रीतिभोज का आयोजन किया जाएगा. इस अवसर पर देश और विदेश से आए सभी अतिथि नवविवाहित जोड़े को शुभकामनाएं देंगे.
जयपुर में विवाह संपन्न होने के बाद, जब शिप्रा वृंदावन में बहू के रूप में प्रवेश करेंगी, तो वहां भी भव्य स्वागत और तैयारियां की गई हैं। इस प्रकार, विवाह का अनुभव न केवल जयपुर में, बल्कि वृंदावन में भी अपनी परंपरा और पवित्रता के साथ जीवंत रहेगा.
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