Deep daan in Kartik Month : कार्तिक मास को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना गया है. यह मास विशेष रूप से भगवान विष्णु और तुलसी माता को समर्पित होता है. इस मास में दीपदान का विशेष महत्व है. दीपदान केवल पूजा का एक अंग नहीं बल्कि धर्म, कर्म और आत्मिक प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक है. इस लेख में हम सरल शब्दों में समझेंगे कि दीपदान क्या होता है, कैसे किया जाता है और इसका धार्मिक महत्व क्या है.
दीपदान का मतलब होता है- दीपक जलाकर किसी पवित्र स्थान पर दान करना या रखना. ये कार्य किसी देवता, नदी, मंदिर, या पवित्र वृक्ष जैसे तुलसी के पास किया जाता है. दीपक ज्ञान, रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है. दीपदान से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है.
कार्तिक मास में किया गया दीपदान सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना अधिक फलदायी माना गया है. शास्त्रों के अनुसार:
यह सभी तीर्थों और यज्ञों के बराबर पुण्य देता है. व्यक्ति को मोक्ष, विष्णुलोक और लक्ष्मीलोक की प्राप्ति होती है. पापों का नाश होता है और पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है.
जो व्यक्ति कार्तिक मास में प्रतिदिन दीपदान करता है, उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है.
दीपदान से चेहरे पर दिव्यता और आकर्षण आता है, जो भगवान श्रीहरि की कृपा से संभव होता है.
यह पुण्य कभी नष्ट नहीं होता और जीवनभर शुभ फल देता है.
कार्तिक मास में तुलसी के आगे दीप जलाने से व्यक्ति को अगले जन्म में उच्च कुल प्राप्त होता है.
मंदिर में दीपदान: विष्णुलोक की प्राप्ति. नदी में दीपदान: पितरों को मोक्ष और शांति. तुलसी के पास दीपदान: धन, वैभव और पापों से मुक्ति. मुख्य द्वार पर दीपदान: घर में समृद्धि और नकारात्मक ऊर्जा का अंत.
शुभ समय: सूर्यास्त के बाद या, ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले).
स्थान:
घर के मंदिर में तुलसी के पौधे के पास नदी, तालाब, घाट या कुएं के किनारे मुख्य द्वार के बाहर
1. मिट्टी का दीपक लें, उसमें घी या तिल का तेल भरें.
2. रुई की बत्ती बनाकर रखें.
3. दीपक को साफ जगह या चावल के ऊपर रखें.
4. "शुभं करोति कल्याणं" या "दीपज्योति नमोऽस्तुते" मंत्र बोलें.
5. भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता या तुलसी माता का ध्यान करें.
6. जल अर्पण करें और प्रार्थना करें.
7. पूजा के बाद बिना पीछे देखे घर लौट आएं.
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