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Google-Gemini और WhatsApp… क्या आपकी चैट्स अब सुरक्षित नहीं हैं? जानें पूरी सच्चाई

Google के Gemini AI को अब WhatsApp जैसी थर्ड-पार्टी ऐप्स तक सीमित एक्सेस मिलेगा. यहां तक कि यदि आप डेटा शेयरिंग बंद कर दें, तब भी आपकी जानकारी 72 घंटे तक Google सर्वर पर सेव रह सकती है.

👤 Samachaar Desk 15 Jul 2025 08:23 PM

हाल ही में Google ने अपने Gemini AI को लेकर एक बड़ा अपडेट जारी किया है, जो Android यूज़र्स की प्राइवेसी को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है. एक ईमेल के ज़रिए Google ने जानकारी दी कि अब Gemini AI थर्ड-पार्टी ऐप्स जैसे WhatsApp से डेटा एक्सेस कर सकता है, जिससे यूज़र वॉयस कमांड के जरिए इन ऐप्स की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेंगे.

डेटा एक्सेस बंद करने पर भी हो रहा शेयर

पहली नज़र में ये फीचर काफी सुविधाजनक लगता है, लेकिन इसमें एक बड़ा पेंच है. Google ने ईमेल में यह बात छुपाई कि अगर आपने "Gemini Apps Activity" बंद भी कर दी हो, तब भी आपकी जानकारी Gemini के पास 72 घंटे तक सेव रह सकती है. यानी कि आप चाहे ना भी चाहें, फिर भी आपकी WhatsApp चैट्स अस्थायी रूप से Google के सर्वर तक पहुंच सकती हैं.

WhatsApp की प्राइवेसी कितनी प्रभावी?

Meta हमेशा यह दावा करता आया है कि WhatsApp की चैट्स end-to-end encrypted होती हैं. इसका मतलब है कि चैट्स को ना तो Meta और ना ही कोई तीसरा पढ़ सकता है. लेकिन यह एन्क्रिप्शन सिर्फ ऐप के भीतर ही प्रभावी होता है. फोन पर आने वाले नोटिफिकेशन अलर्ट में मौजूद मैसेज की सामग्री Gemini के लिए एक्सेस करना आसान बना सकता है. कुछ Android फोन्स तो इन नोटिफिकेशन को 24 घंटे तक सेव भी रखते हैं.

Gemini क्या-क्या कर सकता है?

Gemini, जो Android सिस्टम में गहराई से एकीकृत हो चुका है, सिर्फ नोटिफिकेशन ही नहीं बल्कि ऐप के अन्य हिस्सों तक भी पहुंच सकता है. Google की ओर से यह नहीं बताया गया है कि Gemini चैट्स को किस माध्यम से पढ़ेगा, लेकिन नोटिफिकेशन एक्सेस इसका सबसे संभावित जरिया हो सकता है.

Gemini को WhatsApp डेटा एक्सेस करने से कैसे रोकें?

1. अपने Android फोन में Gemini ऐप खोलें.

2. दाईं ओर ऊपर प्रोफाइल आइकन पर टैप करें.

3. "Gemini Apps Activity" विकल्प चुनें.

4. Toggle स्विच को बंद कर दें.

ध्यान रहे कि अगर कोई डेटा पहले ही Gemini के पास पहुंच चुका है, तो वह 72 घंटे तक उसके सर्वर पर सेव रह सकता है. तकनीक हमें सहूलियतें देती है, लेकिन साथ ही हमारी निजता पर भी खतरा बन जाती है. ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी डिवाइसेज की सेटिंग्स को लेकर जागरूक रहें और हर अपडेट की बारीकी से जांच करें.