नोएडा पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया, जिसमें छह लोगों का गिरोह खुद को अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी का सदस्य बताकर लोगों से पैसे वसूल रहा था। यह गिरोह "अंतर्राष्ट्रीय पुलिस एवं अपराध जांच ब्यूरो" के नाम से नोएडा के फेज़ 3 इलाके में एक फर्जी कार्यालय चला रहा था। इनके पास जाली पहचान पत्र, नकली सरकारी दस्तावेज़ और पुलिस जैसी वर्दी व प्रतीक चिन्ह थे, ताकि लोग इन्हें असली समझ लें।
पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह अपनी एक वेबसाइट www.intlpcrib.in चला रहा था। इस वेबसाइट पर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्रों की नकली कॉपियां लगाई हुई थीं, जिससे वे भरोसेमंद और वैध दिखें। इनका मुख्य तरीका था—लोगों से “दान” या “चंदा” मांगना, यह कहकर कि वे किसी बड़े ऑपरेशन के लिए पैसे इकट्ठा कर रहे हैं।
छापेमारी में पुलिस ने फर्जी पहचान पत्र, सरकारी दस्तावेज़, पासबुक और चेकबुक बरामद कीं। सभी गिरफ्तार आरोपी—विभाष, अराग्य, बाबुल, पिंटूपाल, सम्पदाल और आशीष—पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। पुलिस का कहना है कि यह गिरोह हाल ही में बनाए गए अपने नेटवर्क को आगे फैलाने की तैयारी में था, लेकिन उससे पहले ही पकड़ा गया।
यह मामला कुछ हफ्ते पहले गाजियाबाद में सामने आए एक फर्जी दूतावास मामले से मिलता-जुलता है। वहाँ भी एक शख्स, हर्षवर्धन जैन, खुद को "वेस्टआर्कटिका का राजदूत" बताकर लोगों को धोखा दे रहा था। उसके पास से जाली दस्तावेज़, विदेशी मुद्रा और हवाला से जुड़े सामान बरामद हुए थे। जैन ने अपने आप को कई स्वघोषित छोटे देशों का प्रतिनिधि बताया था, लेकिन ये देश संयुक्त राष्ट्र या किसी मान्यता प्राप्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं।
पुलिस अब यह जांच कर रही है कि इन दोनों मामलों में कोई आपस में कनेक्शन है या नहीं, और क्या इनका इस्तेमाल लोगों को गुमराह करने और अवैध पैसों के लेन-देन के लिए किया गया था। इस कार्रवाई से साफ है कि फर्जी पहचान और नाम का सहारा लेकर धोखाधड़ी का यह खेल लगातार बढ़ रहा है, लेकिन पुलिस भी इन पर सख्ती से कार्रवाई कर रही है।
Copyright © 2025 The Samachaar
