उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही के दिनों में एक बड़ा एलान करते हुए कहा था कि जल्द ही 'ग्रेटर गाजियाबाद' गठन होगा. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने कहा कि गाजियाबाद में हो रहे तेज़ विकास को देखते हुए अब समय आ गया है कि इस शहर का दायरा और बढ़ाया जाए. इस नए नगर निगम क्षेत्र में लोनी सहित तीन नगर परिषदों को शामिल किया जाएगा, जो सीधे दिल्ली सीमा से सटा इलाका है.
मुख्यमंत्री ने कहा, 'गाजियाबाद में अब 12-लेन एक्सप्रेसवे, हिंडन सिविल टर्मिनल और रैपिड रेल जैसे प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं. ऐसे में 'ग्रेटर गाजियाबाद' का निर्माण इस इलाके को नई ऊंचाई तक पहुंचाएगा. आइए ऐसे में जानते हैं किसी नए शहर को बसाने में क्या पूरी प्रक्रिया होती है.
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नया शहर बसाना क्यों जरूरी होता है?
जैसे-जैसे आबादी बढ़ती है, मौजूदा शहरों पर दबाव भी बढ़ता है. ऐसे में न केवल रहने की जगह कम होती है, बल्कि यातायात, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाएं भी प्रभावित होती हैं. इसलिए सरकारें नए शहरों की योजना बनाती हैं ताकि विकास संतुलित तरीके से हो सके और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिले.
कैसे चुनी जाती है जगह?
नए शहर के लिए ऐसी ज़मीन चुनी जाती है जो ट्रांसपोर्ट, पानी और संसाधनों के पास हो. अक्सर यह सरकारी ज़मीन होती है या फिर निजी ज़मीन का अधिग्रहण किया जाता है. इस दौरान स्थानीय लोगों को उचित मुआवज़ा देना और पुनर्वास की व्यवस्था भी जरूरी होती है.
मास्टर प्लान से तय होता है शहर का खाका
हर नए शहर का एक विस्तृत मास्टर प्लान तैयार किया जाता है जिसमें यह तय होता है कि कौन-सा क्षेत्र आवासीय होगा, कहां उद्योग बसेंगे, कहां बाजार बनेंगे और कहां पार्क व हरित क्षेत्र होंगे. इसमें ट्रांसपोर्ट नेटवर्क, जल प्रबंधन, बिजली व्यवस्था और अपशिष्ट निपटान की भी योजना होती है.
क्या-क्या बनता है बुनियादी ढांचे में?
नए शहर की नींव में सबसे पहले आती हैं चौड़ी सड़कें, फ्लाईओवर, पानी-बिजली की सप्लाई, सीवेज सिस्टम, वाई-फाई इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूल, अस्पताल, पुलिस स्टेशन और अग्निशमन केंद्र, साथ ही, इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल गवर्नेंस की भी योजना बनाई जाती है.
फंडिंग और निवेश नए शहरों के लिए सरकारें शुरुआती फंड देती हैं लेकिन बड़े प्रोजेक्ट्स में प्राइवेट कंपनियों और विदेशी निवेशकों की भागीदारी भी जरूरी होती है. कई बार अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सहायता करती हैं. नए शहर के विकास और प्रबंधन के लिए अलग से नगर निकाय या विकास प्राधिकरण बनाया जाता है. इसके लिए कानून और नियम तय किए जाते हैं और नागरिकों की भागीदारी को प्राथमिकता दी जाती है.
स्मार्ट और सस्टेनेबल सिटी की दिशा में कदम
आजकल हर नया शहर सस्टेनेबिलिटी पर आधारित होता है- यानी हरित ऊर्जा, जल पुनर्चक्रण, डिजिटल सेवाएं और प्रदूषण नियंत्रण पर फोकस होता है. ग्रेटर गाजियाबाद भी इसी सोच के साथ विकसित किया जाएगा.
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