बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़े फेरबदल की चर्चा के बीच यह साफ हो गया है कि नीतीश कुमार की अगली एनडीए सरकार में मुख्यमंत्री के साथ-साथ दोनों डिप्टी सीएम भी वही रहने वाले हैं. बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी है कि सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा एक बार फिर बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका निभाएंगे.
यह फैसला बुधवार को हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में लिया गया, जिसमें दोनों नेताओं को क्रमशः विधानमंडल दल का नेता और उपनेता चुन लिया गया. दिलचस्प बात यह है कि साल 2024 में भी इन्हीं दोनों नेताओं को यही जिम्मेदारी मिली थी और इसी आधार पर वे पहली बार नीतीश की पिछली सरकार में डिप्टी सीएम बने थे.
पटना में हुए विधायक दल की बैठक की निगरानी उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने की. उनके साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और साध्वी निरंजन ज्योति को सह-पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा गया था. बैठक खत्म होने के बाद केशव मौर्य ने आधिकारिक तौर पर सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा के नामों की घोषणा की.
बैठक में प्रेम कुमार, कृष्ण कुमार ऋषि, अरुण शंकर प्रसाद, नितिन नबीन और रमा निषाद समेत कई विधायकों ने प्रस्ताव रखा और बाद में विधायक दल ने तालियों की गड़गड़ाहट से इसे मंजूरी दे दी. इससे यह साफ हो गया कि बीजेपी में इन दोनों नेताओं पर भरोसा मजबूत है और पार्टी उन्हें फिर से राज्य के शीर्ष नेतृत्व में देखना चाहती है.
एनडीए की नई सरकार का शपथ ग्रहण कल होना है. यह नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनने वाली दसवीं सरकार होगी. वहीं, एनडीए गठबंधन की यह आठवीं सरकार होगी जिसमें बीजेपी का प्रभावी रोल रहेगा.
सम्राट चौधरी मुंगेर जिले से और विजय सिन्हा लखीसराय से आते हैं. दोनों नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्रों से जीत दर्ज कर दोबारा विधानसभा में प्रवेश किया है और अब सत्ता में भी उनका योगदान जारी रहेगा.
बिहार में एनडीए सरकारों के इतिहास पर नजर डालें तो कुल 5 नेताओं ने उपमुख्यमंत्री पद संभाला है—
इनमें सुशील मोदी का कार्यकाल सबसे लंबा रहा. वे लगभग 11 साल तक डिप्टी सीएम रहे और नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद सहयोगी माने जाते थे.
2020 के चुनाव के बाद उन्हें केंद्र की राजनीति में भेजा गया और बीजेपी ने तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाया. लेकिन 2022 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन का रुख कर लिया, जिसके बाद दोनों हटा दिए गए. 2024 में नीतीश के दोबारा एनडीए में लौटने पर सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को यह जिम्मेदारी मिली, जो अब फिर से जारी रहेगी.
लगातार बदलते गठबंधन और तेज राजनीतिक हलचलों के बीच बीजेपी द्वारा सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को दोबारा मौका देना इस बात का संकेत है कि पार्टी स्थिर नेतृत्व चाहती है. साथ ही यह कदम नीतीश कुमार और बीजेपी के रिश्तों में स्थिरता दिखाने की कोशिश भी माना जा रहा है.
बिहार की राजनीति में अगले कुछ दिन बेहद अहम होंगे क्योंकि नई सरकार के शपथ के साथ एनडीए के लिए नए समीकरण और जिम्मेदारियों का दौर शुरू हो जाएगा.
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