बिहार विधानसभा चुनाव के दो चरणों की जबरदस्त वोटिंग के बाद अब सबकी नजरें नतीजों पर टिकी हैं. एग्जिट पोल्स के मुताबिक, राज्य में एक बार फिर एनडीए की वापसी तय मानी जा रही है. आधे दर्जन से ज्यादा सर्वे एजेंसियों ने एनडीए को बंपर सीटें मिलने की भविष्यवाणी की है. अगर यह सर्वे सच साबित हुए, तो इसका सबसे बड़ा असर दो नेताओं पर पड़ेगा महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (पीके) पर.
जहां तेजस्वी यादव के लिए यह नतीजे एक बड़ा राजनीतिक झटका साबित हो सकते हैं, वहीं प्रशांत किशोर के लिए यह उनके बयान पर टिके रहने की कठिन परीक्षा होगी. दरअसल, प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि जेडीयू को 25 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी. उन्होंने यहां तक कहा था कि अगर ऐसा हुआ, तो वे राजनीति छोड़ देंगे.
अधिकांश एग्जिट पोल्स में भाजपा-जेडीयू गठबंधन को 150 से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान है. एक्सिस माय इंडिया सर्वे के अनुसार, एनडीए को 121 से 141 सीटें मिल सकती हैं, जबकि महागठबंधन को 98 से 118 सीटों पर बढ़त मिल सकती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेडीयू को 56 से 62 सीटें तक मिलने की संभावना जताई गई है. यदि नतीजे इन अनुमानों के करीब भी रहे, तो प्रशांत किशोर को अपनी कही बात पर कायम रहना पड़ेगा, यानी राजनीति छोड़ने या बयान से पलटने के बीच कोई एक रास्ता चुनना होगा.
प्रशांत किशोर ने कई टीवी चैनलों पर अपने बयान को दोहराते हुए कहा था, “एनडीए की सरकार बिल्कुल नहीं आ रही है. नीतीश कुमार नवंबर के बाद मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे. जेडीयू को 25 से ज्यादा सीटें नहीं आएंगी. अगर आ गईं, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा.”
उन्होंने यह बयान न्यूज़ 24 और न्यूज 18 जैसे चैनलों पर खुले तौर पर दिया था. अब जब एग्जिट पोल्स उनके दावों के ठीक उलट जा रहे हैं, तो सबकी निगाहें इस पर हैं कि क्या पीके अपने शब्दों पर टिकेंगे या ‘यूटर्न’ लेंगे.
बिहार में मतगणना से पहले सियासी हलचल तेज है. जनता, मीडिया और विपक्ष सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या एग्जिट पोल्स की भविष्यवाणियां सही साबित होंगी और क्या प्रशांत किशोर अपनी “राजनीति छोड़ने” वाली घोषणा पर अमल करेंगे.
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