भारत के पहलगाम आतंकी हमले के बाद सख्त रुख अपनाने के बाद पाकिस्तान में एक बार फिर सिमला समझौते (Simla Agreement 1972) को लेकर बवाल मचा हुआ है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इसे 'मृत दस्तावेज' बता डाला, लेकिन अब विदेश मंत्रालय ने पलटी मारते हुए कहा है कि भारत से कोई भी द्विपक्षीय समझौता अभी तक आधिकारिक रूप से खत्म नहीं किया गया है.
दरअसल, हाल ही में ख्वाजा आसिफ ने एक निजी चैनल पर दिए इंटरव्यू में कहा, 'सिमला समझौता अब प्रासंगिक नहीं रहा. भारत के एकतरफा कदमों ने इसे खत्म कर दिया है. हम अब 1948 की स्थिति में लौट चुके हैं, जब संयुक्त राष्ट्र ने नियंत्रण रेखा को युद्धविराम रेखा घोषित किया था.
इस बयान से खलबली मच गई, क्योंकि यह 1971 की जंग के बाद हुए सबसे महत्वपूर्ण भारत-पाक समझौतों में से एक को सिरे से खारिज करने जैसा था. एक दिन बाद ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को सफाई देनी पड़ी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अख़बार को बताया “भारत के हालिया बयानों और कार्रवाईयों पर आंतरिक चर्चा ज़रूर हुई है, लेकिन अब तक किसी समझौते को खत्म करने का कोई औपचारिक या निर्णायक फैसला नहीं लिया गया है.” यानि साफ है कि पाकिस्तान की सरकार खुद भी इस मुद्दे पर बंटी हुई है- एक तरफ राजनीतिक बयानों की गर्मी है, दूसरी तरफ डिप्लोमैटिक ठंडक.
1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिमला समझौते ने यह तय किया था कि दोनों देश आपसी मुद्दों को शांति और बातचीत के ज़रिए सुलझाएंगे और कश्मीर जैसे मुद्दों में कोई तीसरी पार्टी (जैसे UN या अमेरिका) नहीं घुसेगी. इस समझौते को खत्म करने का मतलब है कि पाकिस्तान फिर से अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिश कर सकता है.
विश्लेषकों का मानना है कि ख्वाजा आसिफ का बयान कहीं न कहीं भारत के ऑपरेशन सिंदूर और कश्मीर में हो रही सैन्य कार्रवाइयों के जवाब में दिया गया है. लेकिन विदेश मंत्रालय की सफाई ने बता दिया कि पाकिस्तान अभी उस स्तर पर कोई बड़ा कदम उठाने की स्थिति में नहीं है.
एक तरफ ख्वाजा आसिफ और कुछ कट्टरपंथी धड़े भारत से सारे समझौते तोड़ देने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय यह कहकर मामले को ठंडा करने की कोशिश कर रहा है कि "कोई औपचारिक निर्णय नहीं हुआ है।" ये दिखाता है कि पाकिस्तान की सत्ता के गलियारों में जबरदस्त भ्रम और मतभेद है.
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