वॉशिंगटन में एक कार्यक्रम के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आतंकवादी संगठन घोषित करने पर कोई आपत्ति नहीं है. यह वही TRF है जिसने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की ज़िम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे.
इस बयान से पाकिस्तान के पूर्व रुख में बड़ा बदलाव देखा गया है, क्योंकि अप्रैल में ही डार ने संसद में कहा था कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के उस प्रस्ताव में TRF का ज़िक्र हटवा दिया था जिसमें पहलगाम हमले की निंदा की गई थी.
वॉशिंगटन में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान इशाक डार ने कहा कि 'TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करना अमेरिका का संप्रभु निर्णय है। हमें इससे कोई समस्या नहीं है. अगर उनके पास कोई सबूत हैं, तो हम उसका स्वागत करेंगे. डार ने यह भी कहा कि TRF को लश्कर-ए-तैयबा से जोड़ना गलत है।
पहले डार ने पाकिस्तान की संसद में गर्व से बताया था कि उन्होंने UNSC के उस बयान से TRF का नाम हटवा दिया था जिसमें पहलगाम हमले की निंदा की गई थी. हमने UNSC के बयान में TRF के ज़िक्र का विरोध किया. मुझे वैश्विक राजधानियों से कॉल्स आए, लेकिन पाकिस्तान ने नहीं माना। TRF का नाम हटाया गया और पाकिस्तान की बात मानी गई. अब जब उनसे हिंदुस्तान टाइम्स के एक कार्यक्रम में इस यू-टर्न पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उस समय TRF की आतंकी गतिविधियों को लेकर पर्याप्त सबूत नहीं थे.
भारत सरकार ने जनवरी 2023 में द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था. दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल के अनुसार, TRF पहली बार 2019 में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए सामने आया था. तब से अब तक यह संगठन जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी हमलों की ज़िम्मेदारी ले चुका है. इनमें श्रीनगर में ग्रेनेड हमला, जिसमें सात नागरिक घायल हुए थे, और 2021 में सिलसिलेवार टारगेट किलिंग्स शामिल हैं.
हालांकि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा और TRF के संबंधों को नकार रहा है, लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि TRF असल में लश्कर-ए-तैयबा का ही नया चेहरा है, जो वैश्विक दबाव से बचने के लिए एक नया नाम इस्तेमाल कर रहा है.
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