अमेरिकी ब्रोकरेज हाउस मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज चीन की हालिया नीतिगत बदलावों से बड़ा लाभ उठाने वाली है. दरअसल, चीन ने अपने घरेलू बाजार में कीमतों की अनियंत्रित प्रतिस्पर्धा पर लगाम लगाने और उद्योगों में संतुलन बनाए रखने के लिए नई पॉलिसी लागू की है. इस कदम से एशियाई केमिकल और एनर्जी सेक्टर में दाम स्थिर होने की उम्मीद है, जिससे रिलायंस जैसी कंपनियों के मुनाफे और मार्जिन में मजबूती आएगी.
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की "एंटी-इनवॉल्यूशन पॉलिसी" पेट्रोकेमिकल सेक्टर में एक नए चक्र की शुरुआत का संकेत देती है. वहीं, सोलर सेक्टर में ओवरकैपेसिटी को कम करने के बीजिंग के प्रयास रिलायंस की सोलर सप्लाई चेन के लिए बेहतर प्राइसिंग सुनिश्चित करेंगे. रिपोर्ट का अनुमान है कि इस बदलाव से रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए करीब 20 बिलियन डॉलर का नेट एसेट वैल्यू खुल सकता है और कंपनी की FY28 की कमाई 17% तक बढ़ सकती है.
चीन इन दिनों डिफ्लेशन जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है. इसी कारण सरकार अत्यधिक उत्पादन और बाजार में गिरती कीमतों को संतुलित करने पर जोर दे रही है. इन कदमों से न केवल शेयर बाजार को सहारा मिला है बल्कि निवेशकों का भरोसा भी मजबूत हुआ है. रिलायंस इंडस्ट्रीज अपने आंतरिक पुनर्गठन पर काम कर रही है, जिससे उसकी प्रॉफिटेबिलिटी और वैश्विक बाजार में पकड़ और मजबूत होने की संभावना है. जानकारों का मानना है कि इन परिस्थितियों से रिलायंस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी और यह शेयरधारकों के लिए सकारात्मक साबित होगा.
रिलायंस भारत में एक पूरी तरह से इंटीग्रेटेड सोलर सप्लाई चेन बनाने पर काम कर रही है. यह ऐसे समय में हो रहा है जब चीन पॉलीसिलिकॉन उत्पादन कम करने को मजबूर है. मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि इस बदलाव से रिलायंस की ऊर्जा लागत 2030 तक 40% तक घट सकती है, और न्यू-एनर्जी से होने वाली कमाई 2027 तक 13% तक पहुंच सकती है.
हाल ही में 29 अगस्त को हुई रिलायंस की वार्षिक आम बैठक (AGM) में चेयरमैन मुकेश अंबानी और डायरेक्टर अनंत अंबानी ने ग्रीन एनर्जी के बड़े रोडमैप का ऐलान किया. कंपनी ने साफ किया कि आने वाले वर्षों में वह भारत में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाएगी और बड़े पैमाने पर ग्रीन प्रोजेक्ट्स बनाएगी.
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