बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने जहां कई राजनीतिक दलों के समीकरण बदल दिए, वहीं जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हुआ. पहली बार चुनावी मैदान में उतरी उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी. नतीजों के बाद कई दिनों तक चुप रहने वाले प्रशांत किशोर ने अब पहली बार खुलकर अपनी बात रखी है. उन्होंने हार स्वीकार की, लेकिन साथ ही चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल भी उठाए.
प्रशांत किशोर का कहना है कि जन सुराज की हार केवल राजनीतिक पराजय नहीं, बल्कि कई अनुत्तरित सवालों का परिणाम है. उन्होंने कहा कि महीनों चली जन सुराज यात्रा के दौरान उन्हें जो जमीनी फीडबैक मिला था, वह मतदान के पैटर्न से बिल्कुल मेल नहीं खाता. उनके अनुसार उन्होंने लगभग हर जिले में जन समर्थन महसूस किया, लेकिन वोट बॉक्स में वह समर्थन दिखा ही नहीं.
किशोर ने दावा किया, “कई चीजें थीं जो बिल्कुल भी मैच नहीं कर रहीं. प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि कुछ गड़बड़ हुई है. मेरे पास अभी कोई ठोस सबूत नहीं है, लेकिन नतीजे उम्मीदों और जमीनी संकेतों से बिल्कुल उलट हैं.”
इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने इशारों-इशारों में आरोप लगाया कि कई ऐसी पार्टियों को हजारों—लाखों वोट मिले, जिन्हें आम लोग शायद पहचान भी नहीं पाए थे. उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रीय सीटों पर वोटों का अनुपात अत्यंत असामान्य था, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि चुनावी प्रक्रिया बिल्कुल साफ-सुथरी नहीं थी.
उन्होंने यह भी कहा, “कुछ लोग कह रहे हैं कि ईवीएम में छेड़छाड़ हुई. मैं यह दावा नहीं कर रहा, लेकिन यह जरूर मानता हूं कि कई बातें सामान्य चुनावों जैसे नहीं थीं.”
पीके ने एनडीए सरकार पर और भी गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना है कि चुनाव की घोषणा होते ही महिलाओं को 10,000 रुपये बांटे गए. उन्हें बताया गया कि आगे चलकर उन्हें 2 लाख रुपये तक मिलेंगे.
किशोर बोले, “यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया गया. महिलाओं को भरोसे में लिया गया, पैसों का लालच दिया गया और इसे वोट मैनेजमेंट में बदल दिया गया.” उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में यह पैटर्न बहुत स्पष्ट था.
प्रशांत किशोर ने यह भी स्वीकार किया कि जन सुराज के खिलाफ सबसे बड़ा राजनीतिक नैरेटिव “जंगल राज की वापसी” रहा. कई मतदाताओं ने अंतिम समय में यह सोचकर वोट नहीं दिए कि अगर जन सुराज जीत नहीं पाई, तो वोटों का बंटवारा होगा और इससे आरजेडी को फायदा मिल सकता है. उन्होंने कहा, “लोगों में एक डर बैठा दिया गया कि हमें वोट देने से लालू यादव का पुराना राज लौट आएगा. यह डर कई लोगों को हमारे पास आने से रोकता रहा.”
हालांकि नतीजों ने पार्टी का खाता नहीं खोला, पर प्रशांत किशोर ने साफ किया कि जन सुराज का अभियान यहीं खत्म नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वे अपनी यात्रा जारी रखेंगे और आने वाले वर्षों में पार्टी को और मजबूत करेंगे.
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