भारत के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी चर्चा तेज है. पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने अपने पहले पन्ने पर बिहार चुनाव को बड़ी जगह दी है. अखबार ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए “लिटमस टेस्ट” यानी परीक्षा की घड़ी बताया है.
डॉन के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार इस समय पूर्ण बहुमत में नहीं है, बल्कि सहयोगी दलों के समर्थन पर टिकी हुई है. इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JDU) अहम भूमिका निभा रही है. भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में 240 सीटों पर सिमट गई थी. इसके बाद जेडीयू के 12 सांसद और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के 16 सांसदों के समर्थन से ही सरकार बहुमत का आंकड़ा पार कर सकी.
अखबार का कहना है कि वर्तमान हालात में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू, दोनों ही केंद्र की राजनीति के सबसे अहम खिलाड़ी बन चुके हैं. यदि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की स्थिति कमजोर होती है या उनके भाजपा से रिश्तों में बदलाव आता है, तो केंद्र सरकार संकट में पड़ सकती है.
डॉन का कहना है कि भाजपा ऐसी कोई स्थिति नहीं चाहेगी, क्योंकि चंद्रबाबू नायडू को “हार्ड बारगेनर” यानी सख्त मोलभाव करने वाला नेता माना जाता है. ऐसे में दोनों नेताओं के समर्थन के बिना मोदी सरकार के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो सकता है.
अखबार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का भी जिक्र किया है. डॉन ने लिखा कि राहुल गांधी ने 2024 के चुनाव में मजबूत वापसी की है और अब वे नेता प्रतिपक्ष हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया, हालांकि उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस गठबंधन की कमजोर स्थिति ने मोदी सरकार के लिए समर्थन घटाने में अहम भूमिका निभाई.
डॉन की रिपोर्ट से साफ है कि बिहार का चुनाव सिर्फ राज्य की राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि केंद्र की सत्ता संतुलन पर भी असर डाल सकता है. यदि नीतीश कुमार ने राजनीतिक समीकरण बदले, तो यह मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.
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