बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision - SIR) के तहत मतदाता सूची को लेकर अहम जानकारी दी है. इस प्रक्रिया में राज्य के 88.18% यानी करीब 6.6 करोड़ मतदाताओं ने अपने विवरण वाले गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं. लेकिन इन आंकड़ों से यह साफ हो गया है कि 35 लाख से ज्यादा नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं, जिससे चुनावी समीकरणों पर बड़ा असर पड़ सकता है.
चुनाव आयोग के अनुसार BLO द्वारा दो चरणों में घर-घर जाकर गणना फॉर्म (EF) भरवाए गए. इसमें नाम, जन्मतिथि, पता, आधार नंबर, वोटर ID जैसे विवरण लिए गए. अब तक कुल 88.66% मतदाताओं ने यह फॉर्म जमा कर दिए हैं.
पुनरीक्षण के दौरान जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं. इनमें:
1 12.5 लाख मृत पाए गए वोटर
2 17.5 लाख लोग जो बिहार से स्थायी रूप से बाहर जा चुके हैं
3 5.5 लाख वोटर दो बार पंजीकृत पाए गए
इस तरह कुल 35.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने की संभावना है.
चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के कुछ विदेशी नागरिकों के नाम भी वोटर लिस्ट में शामिल थे. यह सुरक्षा और वैधता को लेकर गंभीर चिंता का विषय है.
यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर ID से मतदाता सत्यापन की सलाह दी थी. अब 28 जुलाई को अगली सुनवाई होनी है, जिससे यह तय होगा कि आगे की प्रक्रिया कैसे चलेगी.
वोटर लिस्ट से इतने बड़े स्तर पर नाम हटना निश्चित ही राजनीतिक विवाद और रणनीतियों में बदलाव ला सकता है. इससे विभिन्न दलों के वोट बैंक पर भी असर पड़ेगा और चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो सकती है.
बिहार में मतदाता सूची की यह सफाई चुनावी पारदर्शिता के लिहाज से अहम है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि राजनीतिक दल इसे किस तरह से लेते हैं और सुप्रीम कोर्ट का अगला फैसला क्या होता है.
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