आजकल लोग अपनी मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा प्रॉपर्टी में निवेश करने लगे हैं. इसमें खासकर प्लॉट खरीदने की डिमांड लगातार बढ़ रही है. वजह साफ है – इसमें घर बनाने का विकल्प खुला रहता है और भविष्य में अच्छा रिटर्न भी मिलता है. हालांकि, रियल एस्टेट मार्केट में धोखाधड़ी के केस भी बढ़े हैं. यही कारण है कि खरीदार अब पहले से ज्यादा सतर्क हो गए हैं और हर स्टेप पर सावधानी बरतना चाहते हैं.
कई बार लोग जल्दी में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री और मालिकाना हक की ठीक से जांच नहीं करते. इसका नतीजा यह होता है कि बाद में उन्हें विवाद और धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता है. अगर सही समय पर डॉक्यूमेंट्स की जांच कर ली जाए तो इस तरह के नुकसान से बचा जा सकता है. अच्छी बात यह है कि अब ज्यादातर जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है, जिससे खरीदार आसानी से वेरिफिकेशन कर सकते हैं.
प्लॉट खरीदने से पहले सबसे अहम स्टेप है रजिस्ट्री की जांच करना. पहले इसके लिए तहसील या सब-रजिस्टार ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन अब यह सुविधा ऑनलाइन मिलती है. हर राज्य की सरकार ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर रजिस्ट्री डिटेल चेक करने का ऑप्शन दिया है. इसके लिए आपको सिर्फ प्लॉट की लोकेशन, रजिस्ट्री नंबर या मालिक का नाम डालना होता है. कुछ ही सेकंड्स में पूरी जानकारी स्क्रीन पर आ जाती है। इसमें साफ नजर आता है कि जमीन किसके नाम पर है और उस पर कोई लोन या विवाद लंबित तो नहीं है.
सिर्फ रजिस्ट्री ही नहीं, बल्कि ऑनरशिप वेरिफिकेशन भी जरूरी है. यह जांच बताती है कि प्लॉट बेचने वाला व्यक्ति वास्तव में मालिक है या नहीं. कई बार देखा गया है कि जमीन किसी और के नाम पर दर्ज होती है और बेचने वाला कोई दूसरा व्यक्ति निकल आता है. ऐसे धोखे से बचने के लिए ऑफिशियल पोर्टल पर जाकर ऑनरशिप रिकॉर्ड्स चेक करना चाहिए.
इसके अलावा खरीदार को ई-खाता, खसरा-खतौनी और टैक्स पेमेंट हिस्ट्री भी जरूर जांचनी चाहिए. अगर किसी प्लॉट पर टैक्स बकाया है या उसका लैंड यूज क्लियर नहीं है तो बाद में दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं.
प्लॉट खरीदना तभी सुरक्षित है जब आप हर दस्तावेज की पूरी तरह से जांच कर लें. चाहे रजिस्ट्री हो, ऑनरशिप हो या टैक्स हिस्ट्री – सभी को वेरिफाई करना जरूरी है. इस तरह न सिर्फ आपका पैसा सुरक्षित रहता है, बल्कि भविष्य में किसी भी विवाद की संभावना भी खत्म हो जाती है.
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