आजकल फिटनेस और जिम का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन फिट दिखने वाले लोग भी अचानक कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो जाते हैं. इसकी बड़ी वजह छिपी हुई हार्ट प्रॉब्लम है, जो समय रहते पकड़ में नहीं आती. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिम या किसी भी तरह की हैवी वर्कआउट रूटीन शुरू करने से पहले कुछ अहम हेल्थ टेस्ट करवाना जरूरी है. इससे हार्ट की सेहत और शरीर की वर्कआउट क्षमता का सही अंदाजा लगता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, 30 साल से अधिक उम्र वालों को ये टेस्ट जरूर करवाने चाहिए. खासकर उन लोगों को, जिनके परिवार में हार्ट डिजीज की हिस्ट्री है या जो लंबे समय बाद वर्कआउट शुरू कर रहे हैं. इन टेस्ट से हार्ट की छिपी बीमारियां समय पर सामने आ सकती हैं और बड़ा खतरा टाला जा सकता है.
ईसीजी (ECG): दिल की इलेक्ट्रिक एक्टिविटी रिकॉर्ड कर हार्ट रिद्म की गड़बड़ी, कंडक्शन ब्लॉक या पुराने साइलेंट हार्ट अटैक का पता लगाया जाता है.
2D इको (2D Echo): अल्ट्रासाउंड के जरिए हार्ट की बनावट और कामकाज जांचा जाता है. यह हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी जैसी गंभीर बीमारी पकड़ने में मदद करता है, जो अचानक हार्ट अरेस्ट का कारण बन सकती है.
टीएमटी (TMT): कंट्रोल्ड सेटिंग में एक्सरसाइज के दौरान हार्ट की परफॉर्मेंस मापी जाती है. यह इंटेंस वर्कआउट करने वालों के लिए अहम टेस्ट है.
कार्डियक बायोमार्कर्स: खून की जांच से दिल की मसल्स पर पड़े दबाव या हल्के नुकसान का पता चलता है, जो बिना लक्षण के भी हो सकता है.
इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स: शरीर में सूजन का स्तर मापकर धमनियों में प्लाक बनने के खतरे का अंदाजा लगाया जाता है.
लिपिड प्रोफाइल और HbA1c: कोलेस्ट्रॉल, ट्रायग्लिसराइड्स और पिछले 3 महीने का औसत ब्लड शुगर लेवल मापकर डायबिटीज और मेटाबोलिक सिंड्रोम के खतरे का आकलन किया जाता है.
विटामिन जांच भी जरूरी: विटामिन D और B12 की कमी से एनर्जी, हड्डियों और मसल्स की सेहत पर असर पड़ सकता है. इसलिए इनकी जांच भी जरूरी है.
इन हेल्थ टेस्ट को लक्जरी नहीं, बल्कि जीवनरक्षक कदम समझें. जांच के बाद ही जिम रूटीन शुरू करें और डॉक्टर से ग्रीन सिग्नल लें. समय रहते सावधानी बरतने से अचानक कार्डियक अरेस्ट और जानलेवा हार्ट इवेंट से बचा जा सकता है.
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