Tubectomy procedure : भारत के इतिहास में एक समय ऐसा भी आया था, जब नसबंदी शब्द सुनते ही लोगों के मन में डर बैठ जाता था. यह दौर था 1970 के दशक का, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए जबरदस्ती नसबंदी अभियान चलाया था.
बताया जाता है कि उस समय लोगों को बिना जानकारी या अनुमति के पकड़कर नसबंदी कर दी जाती थी. डर का ऐसा माहौल था कि लोग खेतों में काम पर जाने से कतराते थे, कई लोग अपने घरों में छिप जाते थे, ताकि कोई सरकारी गाड़ी आकर उन्हें नसबंदी के लिए न ले जाए. लेकिन आज भी बहुत से लोगों के मन में सवाल होता है कि नसबंदी आखिर होती कैसे है? नस कहां काटी जाती है? क्या यह प्रक्रिया महिलाओं और पुरुषों में एक जैसी होती है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं.
पुरुषों की नसबंदी को मेडिकल भाषा में वेसक्टॉमी (Vasectomy) कहा जाता है.
इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक छोटी सी सर्जरी करके वास डिफरेंस नाम की नलिका को काटकर और सील कर देते हैं. यह नलिका वो रास्ता होता है जिससे शुक्राणु (Sperm) अंडकोष (Testes) से निकलकर बाहर आते हैं.
सेक्स के समय सीमेन बाहर आता है, लेकिन उसमें स्पर्म नहीं होते. इसका मतलब है कि पुरुष संबंध बना सकता है, लेकिन उसकी प्रजनन क्षमता खत्म हो जाती है. यह प्रक्रिया बहुत ही सरल, कम समय वाली और सेफ मानी जाती है.
महिलाओं में नसबंदी को ट्यूबेक्टॉमी (Tubectomy) कहा जाता है. यह प्रक्रिया पुरुषों की नसबंदी की तुलना में थोड़ी जटिल होती है.
इसमें डॉक्टर महिला के पेट के निचले हिस्से में एक छोटा सा चीरा लगाते हैं और फिर वहां से पहुंचकर फैलोपियन ट्यूब्स को काटकर या बांधकर बंद कर देते हैं.
फैलोपियन ट्यूब्स वहृो रास्ता होती हैं जिससे एग (Egg) ओवरी से निकलकर यूट्रस (गर्भाशय) तक पहुंचता है. जब यह रास्ता बंद हो जाता है, तो एग और स्पर्म का मिलन नहीं हो पाता और गर्भधारण नहीं हो सकता.
यह सबसे आम गलतफहमी है. नसबंदी से:
पुरुष या महिला की यौन इच्छा (Sex Drive) पर कोई असर नहीं पड़ता. वे पहले की तरह सामान्य जीवन और संबंध बना सकते हैं. सिर्फ प्रजनन क्षमता खत्म होती है, बाकी सब कुछ वैसा ही रहता है.
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