शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होने ही वाला है. पूरे नौ दिनों तक भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं. इन दिनों व्रत, भजन, कीर्तन और दान-पुण्य के साथ-साथ माता रानी को शृंगार का सामान अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि जो महिलाएं मां को शृंगार अर्पित करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
हिंदू धर्म में सोलह शृंगार का विशेष महत्व बताया गया है. परंपरा है कि सुहागिन महिलाएं नवरात्रि में 16 शृंगार अवश्य करती हैं और यही शृंगार माता रानी को भी चढ़ाए जाते हैं. ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
सोलह शृंगार की वस्तुओं में चुनरी, चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, काजल, गजरा, मेहंदी, नथ, पायल, बिछिया, झुमके, मंगलसूत्र, मांगटीका, बाजूबंद, कमरबंद और महावर शामिल होते हैं. माना जाता है कि ये सभी चीजें सौंदर्य और सौभाग्य का प्रतीक हैं.
नवरात्रि में मां दुर्गा को चढ़ाने के लिए एक टोकरी तैयार की जाती है. इसमें लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी का पत्ता, मेहंदी, लाल चूड़ियां, कंघा, रबर बैंड, काजल, शीशा, इत्र, पाउडर, क्रीम, लाल लिपस्टिक, नेल पेंट और बिछिया का जोड़ा जरूर शामिल करें.
अगर आप पूरे 16 शृंगार का सामान एक साथ नहीं चढ़ा सकते तो 5 या 7 वस्तुएं भी चढ़ाई जा सकती हैं. 5 वस्तुओं में लाल चुनरी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी और चूड़ियां शामिल हैं. वहीं 7 वस्तुओं में काजल और बिछिया भी जोड़ दें.
नवरात्रि के समापन पर शृंगार सामग्री मंदिर में चढ़ा दी जाती है या किसी सुहागिन महिला को भेंट की जाती है. यह परंपरा बहुत शुभ मानी जाती है. इसके साथ थोड़ी सी दक्षिणा भी अवश्य देनी चाहिए.
मां को अर्पित की गई वस्तुओं में से कुछ चीजें अपने पास आशीर्वाद स्वरूप रख लें. जैसे चूड़ियां या सिंदूर. माना जाता है कि ये वस्तुएं जीवनभर सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं. इस नवरात्रि माता रानी को शृंगार अर्पित करें और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-शांति और समृद्धि लाएं.
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