नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की… भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पूरे देश में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. यह पर्व आस्था, भक्ति और प्रेम का अद्भुत संगम है. मान्यता है कि जो भक्त इस दिन विधिवत पूजा करके पंचामृत भोग लगाते हैं, वे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त करते हैं.
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार पंचामृत पांच पवित्र तत्व दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल के मिश्रण से तैयार किया जाता है. इसे भगवान को स्नान कराने और भोग लगाने में प्रयोग किया जाता है. जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराने के बाद इसे भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.
ज्योतिषाचार्य के अनुसार पंचामृत धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टि से भी लाभकारी है.
1. दूध और दही शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं.
2. घी और शहद ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.
3. गंगाजल पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है.
1. बनाने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान का ध्यान करें.
2. हमेशा शुद्ध और साफ पात्रों का प्रयोग करें.
3. परंपरा के अनुसार इसे चांदी या पीतल के बर्तन में बनाना शुभ माना जाता है.
जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों में विशेष सजावट होती है. लड्डू गोपाल का पंचामृत से अभिषेक, माखन-मिश्री, फलों और सूखे मेवों का भोग, और रात 12 बजे जन्मोत्सव का आयोजन. इन सभी में भक्त पूरे मन से शामिल होते हैं. भजन-कीर्तन और आरती से वातावरण भक्तिमय हो जाता है. पूजा के बाद पंचामृत प्रसाद ग्रहण करना सौभाग्य और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है.
जो परिवार भगवान का स्थायी आशीर्वाद चाहते हैं, उन्हें पंचामृत का भोग लगाकर परिवार के सभी सदस्यों को इसका प्रसाद अवश्य ग्रहण कराना चाहिए. यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि परिवार और समाज में प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है.
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